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परमानेंट पेसमेकर इम्प्लांट सर्जरी से 1.6 किलोग्राम के नवजात शिशु की जान बची

नवजात बच्चों की कार्डिक केयर (दिल की देखभाल) में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल करते हुए, फोर्टिस हॉस्पिटल, मोहाली के डिपार्टमेंट ऑफ पीडियाट्रिक कार्डिक साइंसिज ने परमानेंट पेसमेकर इम्प्लांट सर्जरी के माध्यम से 1.6 किलोग्राम कम वजऩ वाले नवजात शिशु की...
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नवजात बच्चों की कार्डिक केयर (दिल की देखभाल) में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल करते हुए, फोर्टिस हॉस्पिटल, मोहाली के डिपार्टमेंट ऑफ पीडियाट्रिक कार्डिक साइंसिज ने परमानेंट पेसमेकर इम्प्लांट सर्जरी के माध्यम से 1.6 किलोग्राम कम वजऩ वाले नवजात शिशु की जान सफलतापूर्वक बचाई है। सर्जरी के बाद फॉलोअप जांच के दौरान 24 सप्ताह की गर्भवती महिला को सिस्टमिक ल्यूपस एरिथेमेटोसस (एसएलई) का पता चला, यह एेसा ऑटोइम्यून रोग है जिसमें शरीर के इम्यून सिस्टम पर हमला होता है और ये हेल्दी टिश्यूज, जोड़ों, किडनियों, फेफड़ों और मस्तिष्क पर हमला करते है। उसके बाद डॉ. रजत गुप्ता, सीनियर कंसल्टेंट, डिपार्टमेंट ऑफ पीडियाट्रिक कार्डिक साइंसिज, फोर्टिस हॉस्पिटल, मोहाली द्वारा एक टेम्परेरी पेसमेकर लगाया गया।

पंचकूला में सोमवार को इस मामले पर चर्चा करते हुए डॉ. टीएस महंत, एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर, सीटीवीएस, फोर्टिस हॉस्पिटल, मोहाली ने कहा कि ‘यह असाधारण मामला जल्दी डायग्नोसिस, कोऑर्डिनेटेड मल्टीडिसप्लनरी केयर और एडवांस्ड कार्डिक इंटरवेंशंस की उपलब्धता के महत्व को उजागर करता है। बच्चा अब तीन महीने का है और स्वस्थ जीवन जी रहा है।

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जन्मजात ही हार्ट में होने वाले विकारों का जल्द पता लगाने के बारे में जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है। इन जन्मजात दोषों का समय पर इलाज न करने से बच्चे के दिल को कभी बेहतर न होने वाली क्षति हो सकती है।’

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