चंडीगढ़, 7 मई (एजेंसी)
उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने शनिवार को इस बात पर खेद जताया कि मनुष्य ने अपने विकास के लिए पर्यावरण को इस तरह से नुकसान पहुंचाया है जिसे ‘ठीक नहीं किया जा सकता’। उन्होंने लोगों से पर्यावरण की रक्षा के लिए आंदोलन चलाने की अपील की। उन्होंने देश की निचली अदालतों से आह्वान किया कि वे पर्यावरण केंद्रित विचार को रखें और फैसला सुनाने के दौरान स्थानीय आबादी के हितों और जैवविविधता को ध्यान में रखें। उपराष्ट्रपति ने यह बात मोहाली स्थित चंडीगढ़ विश्ववद्यालय में ‘ पर्यावरण विविधता और पर्यावरण विधिशास्त्र पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन ‘के उद्घाटन करने के बाद वहां मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए कही। नायडू ने कहा,‘ विकास की इच्छा की वजह से हमने प्रकृति को इतना नुकसान पहुंचाया है जो ठीक नहीं हो सकता है। वनों को नष्ट किया है, पारिस्थितिक संतुलन को बाधित किया है, पर्यावरण को प्रदूषित किया है, जलाशयों पर अतिक्रमण किया है और अब उसके दुष्परिणाम भुगत रहे हैं।’ उन्होंने कहा, ‘मेरे शब्द बहुत कटु लग सकते हैं लेकिन यह सच है। आवश्यकता मानसिकता बदलने की है। हमारे पास पर्याप्त कानून और विनियमन है लेकिन जरूरत मानसिकता बदलने की है।’ नायडू ने कहा, ‘जब तक पर्यावरण सरंक्षण पूरी दुनिया में जन आंदोलन नहीं बन जाता, तब तक भविष्य बहुत निराशाजनक है।