आदित्य शर्मा/निस
चंडीगढ़/पंचकूला, 3 मार्च
74 साल की शकीला ने चंडीगढ़ को अपने सामने बसता हुआ देखा है और अब प्रशासन के रिकॉर्ड में नाम न होने से खुद को ठगा-सा हुआ महसूस कर रही हैं। 60 साल के रामनाथ के 2 बेटे और एक बेटी का क्या कसूर है, जिनके पिता का सर्वे में नाम शामिल न होने से वे खुद की भी पहचान के मोहताज हो गये। कर्मवीर, मुकेश, जलील अहमद और कलवा के अलावा न जाने कितने ऐसे ओर लोग हैं, जो काॅलोनी नंबर 4 समेत अन्य कालोनियों में बिना पहचान के रह रहे हैं। हैरानी की बात यह है कि सिर्फ चुनाव में ही इनको इनके नाम से पुकारा जाता है। आखिरी बार 3 साल पहले भी चंडीगढ़ की सांसद किरण खेर ने भी काॅलोनी नंबर 4, संजय काॅलोनी ओर गांधी कॉलोनी के लोगों की पहचान को चंडीगढ़ का नाम देने का भरोसा दिलाया था। अब मलाल है कि मलिन बस्ती के मासूमों के सर पर हाथ रखने बजाय अब प्रशासन ने अपने हाथ भी पीछे खींच लिए। आज 10 डिग्री तापमान में इन काॅलोनियों में रह रहे 3 हजार लोगों को सर से छत जाने का ख़ौफ सता रहा है।
इंडस्ट्रियल एरिया फेज 1 में स्थित कॉलोनी नंबर 4 के निवासियों को जमीन खाली करने का निर्देश देते हुए चंडीगढ़ प्रशासन ने अवैध कॉलोनी को दो महीने के भीतर ध्वस्त करने का फैसला किया है। काॅलोनी में रह रहे अनीश अहमद ने दैनिक ट्रिब्यून को बताया कि यूटी एस्टेट कार्यालय ने कॉलोनी और पास के एक झोपड़ी कलस्टर, संजय कॉलोनी में बेदखली के नोटिस लगाये, जिसमें लिखा कि यह कॉलोनी अवैध है और इसे दो महीने के भीतर ध्वस्त कर दिया जायेगा। इसलिए, इसे खाली करने का आदेश दिया है। लगभग 10,000 प्रवासियों से भरी कॉलोनी नंबर 4 चंडीगढ़ की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती है, जो शहर के औद्योगिक एरिया में स्थित है।
जमीन खाली करने के लिए 2 महीने का समय
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने इस साल जनवरी में सरकारी एजेंसियों को निर्देश दिया कि वे कोविड-19 मामलों में वृद्धि के मद्देनजर बेदखली और कॉलोनी को तोड़ने से परहेज करें। हाईकोर्ट के निर्देश 28 फरवरी तक लागू रहे। कॉलोनी नंबर 4 में रहने वाले लगभग 7,000 परिवारों में से 4,000 को चंडीगढ़ स्मॉल फ्लैट्स स्कीम 2006 के तहत मलोया में पुनर्वास कॉलोनी में पहले ही घर आवंटित किए जा चुके हैं। यूटी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि स्लम पुनर्वास योजना के तहत पात्र निवासियों के पुनर्वास की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। अब, हमने शेष निवासियों को जमीन खाली करने के लिए दो महीने का समय देने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि कई पात्र निवासी अभी भी बचे हैं, लेकिन प्रशासन उन्हें वादे के अनुसार घर आवंटित करने में विफल रहा।
2022 के अंत तक शहर को झुग्गी मुक्त बनाने का लक्ष्य
अधिकरिक सूत्रों ने बताया कि 2006 में किए गए बायोमीट्रिक सर्वेक्षण के बाद योग्य पाए गए अधिकांश झुग्गी वासियों का पुनर्वास किया गया है। उन्होंने कहा कि योग्य झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले जो अभी भी दस्तावेज के मुद्दों के कारण बचे हैं, उन्हें केंद्र सरकार की किफायती किराये की आवास योजना के तहत समायोजित किया जाएगा। नवीनतम बेदखली नोटिस बारे जानने के लिए उपायुक्त-सह-संपदा अधिकारी विनय प्रताप सिंह से संपर्क नहीं हो सका। यूटी सलाहकार धर्मपाल ने 2022 के अंत तक शहर को झुग्गी मुक्त बनाने का एक नया लक्ष्य निर्धारित किया था।