चंडीगढ़, 2 जुलाई (ट्रिन्यू)
अभिव्यक्ति की इस बार की गोष्ठी में अभिव्यक्ति के संस्थापक स्वर्गीय डॉक्टर मेंहदीरत्ता जी की याद में कवियत्री सारिका धुपड़ के निवास स्थान सेक्टर 27, चंडीगढ़ में साहित्यकार और रंगकर्मी विजय कपूर के संचालन में आयोजित हुई। इसमें ट्राइसिटी के अनेक जाने माने साहित्यकारों ने भाग लिया। साहित्यकारों ने दिवंगत आत्मा को भावभीनी श्रद्धांजलि दी।
कविताओं के सत्र में शहला जावेद ने …पन्नों में छिपे कई चरित्र/पन्ने खुलते और उभरते चरित्र, सारिका धुपड ने…मेरे दिल का मौसम कभी नहीं बदलता/स्थगित रह सब कुछ बदलते देखती रहती हूं, राजिंदर कौर ने… ए फट ने इश्क दे यारो/ इना दी की दवा होवे, डॉक्टर निर्मल सूद ने…नहीं है आसान पहाड़ बनना/युगों तक तप करना पड़ता है, डॉक्टर कैलाश आहलूवालिया ने…चुनाव और तिरस्कृत, विजय कपूर ने.. अकेलपन और उसकी लालसा की अपनी ही कहनियां हैं, दरअसल आभासी दुनिया है यह, वियोग की अंतर्निहित भावना से भरी हुई, डॉक्टर नवीन गुप्ता ने…उसने ज़िद पकड़ी है रोज़ रूठ जाने की/हमने भी सोची है अब के न मनाने की। सतिंदर गिल ने …हमेशा जिंदगी पर लिखा करती हूं / सोचा मोहब्बत पर भी लिखा जाए। वीना सेठी ने ..कुछ यादें /जिंदगी लौटा देती हैं। डॉक्टर विमल कालिया ने …पंखे की हवा से फड़फड़ाते/आज की अखबार के पन्ने/ आतुर बहने को/ बन बरसाती किश्तियां। अश्वनी भीम ने…आएंगे प्रिय सांझ सकारे/ रखना दिल के द्वार खोल। सत्यवती आचार्य ने..श्रद्धा के पुष्प लाई हूं/परिपूर्ण प्रीति से/अंतर से प्रस्फुटित हुए /ये शब्द सुमन से। बबिता कपूर ने …खाली जगह कभी नहीं भरती। रेखा मित्तल ने … हे कृष्ण/समाज के आखरी प्रहरी/व्याप्त हो आप सर्वत्र जैसी सारगर्भित कविताओं का पाठ किया।
दूसरे सत्र में सारिका धुपड़ ने दिलचस्प संस्मरण…बिल्लियां, सुभाष भास्कर ने मार्मिक कहानी अस्थियां का पाठ किया। डॉक्टर पंकज मालवीय ने अंतिम पायदान पर बैठी स्त्री की मार्मिक कहानी मुझे कुछ नहीं कहना का पाठ किया।
अश्वनी भीम ने व्यंग्य…मेरा बार्डरोब से खूब गुदगुदाया।
डॉक्टर विमल कालिया ने बहुत मार्मिक कहानी मां का सुंदर पाठ किया। रेखा मित्तल की लघु कहानी आवाज़ भी खूब बन पड़ी।