Organ Donation ब्रेन डेड युवक के अंगों से तीन जिंदगियां रोशन, एक मरीज ने लीवर ट्रांसप्लांट से पाया नया जीवन
चंडीगढ़, 27 जून (ट्रिन्यू)
एक ब्रेन डेड युवक के अंगदान ने गंभीर लीवर रोग से पीड़ित 52 वर्षीय मरीज को नया जीवन दिया। यह मामला न केवल आधुनिक चिकित्सा की सफलता है, बल्कि मानवीय करुणा और सामाजिक जिम्मेदारी का उदाहरण भी है।
चंडीगढ़ निवासी 46 वर्षीय व्यक्ति को तीव्र रक्तस्रावी स्ट्रोक के बाद अस्पताल लाया गया था, जहां उन्हें चिकित्सकों ने ब्रेन डेड घोषित किया। 14 दिन बाद परिजनों ने साहसिक निर्णय लेते हुए उनके अंगों को दान करने की स्वीकृति दी। इसके बाद अंग प्रत्यारोपण की पूरी प्रक्रिया शुरू की गई।
इस पूरे केस को फोर्टिस अस्पताल, मोहाली की ट्रांसप्लांट टीम ने अंजाम दिया, जो अब तक 10 कैडावर ऑर्गन डोनेशन केस सफलतापूर्वक कर चुकी है। मृत दाता के लीवर और दोनों किडनियाँ निकाली गईं, जिनमें से लीवर और एक किडनी फोर्टिस मोहाली में ट्रांसप्लांट की गई। दूसरी किडनी नियमों के अनुसार अन्य अस्पताल को सौंपी गई, जबकि दोनों आंखें पीजीआई चंडीगढ़ में सुरक्षित रखी गईं।
लीवर प्राप्तकर्ता पिछले तीन वर्षों से गंभीर लिवर रोग से जूझ रहे थे और नियमित पैरासेंटेसिस (पेट से तरल निकालना) की प्रक्रिया से गुजर रहे थे। उनकी सर्जरी फोर्टिस मोहाली की विशेषज्ञ टीम — डॉ. मिलिंद मण्डावर और डॉ. साहिल रैली — की निगरानी में की गई। आज मरीज पूरी तरह स्वस्थ हैं और सामान्य जीवन जी रहे हैं।
डॉ. रैली ने बताया कि अंग प्रत्यारोपण एक जटिल लेकिन जीवनदायक प्रक्रिया है, जिसमें दाता का चयन, पोस्ट-ऑप केयर और निरंतर फॉलोअप अत्यंत ज़रूरी होता है। तीन महीने की विशेष देखरेख के बाद अधिकांश मरीज सामान्य जीवन में लौट आते हैं।
ब्रेन डेड घोषित करने की प्रक्रिया वैज्ञानिक और नैतिक दोनों ही दृष्टियों से सख्त होती है। इसमें चार विशेषज्ञ डॉक्टरों की समिति दो बार मूल्यांकन कर तय करती है कि मस्तिष्क की सभी गतिविधियाँ पूर्णतया बंद हो चुकी हैं।
डॉ. मण्डावर ने जानकारी दी कि भारत में हर साल लगभग चार लाख मरीज अंगों की अनुपलब्धता के कारण जान गंवाते हैं। लीवर ट्रांसप्लांट एंड स्टेज लीवर डिजीज का एकमात्र कारगर इलाज है, लेकिन इसके लिए समाज में अंगदान को लेकर जागरूकता और स्वीकृति की जरूरत है।