Organ Donation 124 नयी प्रतिज्ञाएं, 124 नयी उम्मीदें : चंडीगढ़ कार्निवल में अंगदान शिविर ने छुआ लोगों का दिल
Organ Donation चंडीगढ़ कार्निवल की रौनक के बीच एक ऐसा कोना भी था, जिसने सिर्फ मुस्कानें ही नहीं, बल्कि उम्मीदों की लौ भी जगा दी। कार्निवल में 14 से 16 नवंबर तक क्षेत्रीय अंग व ऊतक प्रत्यारोपण संगठन रोटो पीजीआई के तीन दिवसीय जागरूकता और प्रतिज्ञा शिविर ने लोगों के भीतर जीवनदान का भाव जगाने वाला माहौल बनाया।
यहां पहुंचने वाले हर व्यक्ति ने महसूस किया कि एक छोटा सा निर्णय किसी अनजान परिवार के लिए रोशनी बन सकता है। इसी प्रेरक ऊर्जा के बीच कुल 124 लोगों ने अंगदान का संकल्प लेकर नयी उम्मीदों, नयी कहानियों और नयी जिंदगी की राह को उजाला दिया।
कई लोग सिर्फ जिज्ञासा के साथ आए और प्रेरणा के साथ लौटे।
कुल 124 नागरिकों ने अंगदान की प्रतिज्ञा ली, जबकि कई अन्य लोग जानकारी लेने और अपनी जिज्ञासाएं शांत करने पहुंचे। शिविर ने उन सभी के लिए एक सरल और भरोसेमंद मंच उपलब्ध कराया, जो लंबे समय से अंगदान को सही तरीके से समझना चाहते थे और प्रमाणिक जानकारी के साथ आगे बढ़ना चाहते थे।
लोगों की संवेदनाएं, प्रेरक कहानियां और बदलाव की शुरुआत
कार्निवल में अलग-अलग क्षेत्रों से लोग रोटो काउंटर पर पहुंचे। कोई अपने मन में उठ रहे सवाल लेकर आया, कोई व्यक्तिगत अनुभव के कारण और कई करुणा से प्रेरित होकर। प्रतिज्ञा लेने वालों में दिल्ली के विशाल गुप्ता, मोहाली के उमर गोपाल, ऊना की इंदु, चंडीगढ़ की नहरिका और मनीषा, पंचकूला के रवि, चंडीगढ़ के चिराग, मोहाली के प्रताप गर्ग, चंडीगढ़ के राजीव अग्निश, चंडीगढ़ की मोनिका राय, रोहतक के रविंदर बरलस और ज़ीरकपुर के राजीव अनीश शामिल रहे। सभी की प्रेरणा भिन्न थी, लेकिन भावना एक ही थी कि किसी अनजान व्यक्ति का जीवन बचाया जा सके।
दिल्ली के विशाल गुप्ता ने कहा, ‘मैंने परिवारों की वह बेबसी देखी है, जो इंतजार में उम्र गुजार देते हैं। अगर मेरे अंग किसी और की सांसें आसान कर सकें, तो यही मेरी सेवा होगी।’
मोनिका राय ने बताया, ‘मेरे मन में वर्षों से सवाल थे। कहीं भी सहज माहौल नहीं मिला। आज भरोसा भी मिला और गर्व भी कि मैंने प्रतिज्ञा ले ली।’
ऊना की इंदु ने कहा, ‘मेरे एक रिश्तेदार ने तीन साल तक किडनी का इंतजार किया, लेकिन उन्हें कभी नहीं मिली। अगर मेरा दान किसी और परिवार का दर्द रोक सके, तो यह सबसे बड़ा कार्य होगा।’ नहरिका बोलीं, ‘जीवन ने मुझे बहुत कुछ दिया है। अंगदान मेरे लिए लौटाने का तरीका है।’
पंचकूला के रवि ने कहा, ‘हम अपनी जिंदगी की तो कई योजनाएं बनाते हैं, लेकिन यह प्रतिज्ञा किसी दूसरे की जिंदगी की योजना है। यही बात मेरे दिल को छू गई।’ चंडीगढ़ के चिराग ने कहा, ‘मैं हमेशा सोचता था कि क्या एक आम इंसान कोई असाधारण बदलाव ला सकता है। आज समझ आया कि हां, बिल्कुल ला सकता है।’
लोगों के सवाल और टीम का भरोसा
- शिविर में कई आगंतुकों ने गंभीर, मानवीय और भावनात्मक सवाल पूछे।
• क्या अंगदान में परिवार पर कोई आर्थिक बोझ आता है
• ब्रेन डेथ की पुष्टि कैसे और कौन करता है
• क्या सभी अस्पताल प्रत्यारोपण कर सकते हैं या केवल अधिकृत संस्थान ही
• सिस्टम में दुरुपयोग रोकने के कौन से उपाय हैं
- रोटो की टीम ने हर सवाल का धैर्य, स्पष्टता और सरल भाषा में उत्तर दिया। टीम ने बताया कि अंगदान पूरी तरह कानूनी रूप से सुरक्षित और नियंत्रित प्रक्रिया है, जिसमें पारदर्शिता के सख्त प्रावधान मौजूद हैं। इस भरोसे ने कई लोगों को प्रतिज्ञा लेने के लिए प्रेरित किया।
‘हर प्रतिज्ञा एक जीवन की आशा’
रोट्टो उत्तर के नोडल अफसर प्रो. विपिन कौशल ने शिविर की प्रतिक्रिया पर संतोष व्यक्त किया। उन्होंने कहा, ‘चंडीगढ़ कार्निवल ने हमें लोगों से सीधे संवाद करने, उनके संदेह दूर करने और प्रमाणिक जानकारी देने का शानदार मंच दिया। यहां ली गई हर प्रतिज्ञा दया का गहरा भाव है और उन मरीजों के लिए उम्मीद है, जो जीवनरक्षक प्रत्यारोपण का इंतजार कर रहे हैं।’
