नगर निगम में ठेके पर कार्यरत जूनियर इंजीनियरों को 6 सप्ताह के भीतर रेगुलर करने का आदेश
चंडीगढ़ नगर निगम में वर्षों से ठेके पर काम कर रहे जूनियर इंजीनियरों को पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए साल 2007 से 2010 के बीच भर्ती हुए सभी जेई को 6 सप्ताह के भीतर नियमित करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने प्रशासन के रवैये पर कड़ी फटकार लगाते हुए इसे कर्मचारियों का शोषण करार दिया है। जस्टिस जगमोहन बंसल की बेंच ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि इन इंजीनियरों की भर्ती एक उचित प्रक्रिया के तहत हुई थी। अखबार में विज्ञापन दिया गया था। तय योग्यता (डिप्लोमा इन सिविल इंजीनियरिंग) और उम्र सीमा (35) वर्ष का पालन किया गया। दस्तावेजों की जांच और इंटरव्यू के बाद मेरिट के आधार पर स्वीकृत पदों पर नियुक्ति हुई थी।
कोर्ट ने कहा कि जब भर्ती प्रक्रिया में कोई कमी नहीं थी और यह ‘बैकडोर एंट्री’ का मामला नहीं है, तो इन्हें पक्का करने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए। हाईकोर्ट ने प्रशासन के इस रवैये पर गहरी नाराजगी जताते हुए कहा, ‘15 साल से ज्यादा किसी को ठेके पर रखना शोषण है। अदालत ने अपने आदेश में एक सख्त अल्टीमेटम भी दिया है। यदि 6 सप्ताह के भीतर इन इंजीनियरों को पक्का नहीं किया जाता, तो यह स्वत: मान लिया जाएगा कि वे नियमित हो चुके हैं और उन्हें पक्के कर्मचारियों के बराबर सभी वेतन और भत्ते दिए जाएं।’