हरियाणा की तर्ज पर चंडीगढ़ में ओबीसी को मिलेगा आरक्षण
केंद्र सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए हरियाणा में लागू ‘पिछड़ा वर्ग (सेवाओं और शैक्षिक संस्थानों में आरक्षण) अधिनियम, 2016’ को संघ शासित क्षेत्र चंडीगढ़ में भी लागू कर दिया है। यह अधिनियम अब यहां की सेवाओं और शैक्षणिक संस्थाओं में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को 27 प्रतिशत आरक्षण की गारंटी देगा।
केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा राजपत्र (गजट) अधिसूचना संख्या 3598(अ) में जारी किया गया है, जो 5 अगस्त से प्रभावी है। यह अधिनियम हरियाणा सरकार द्वारा 2016 में पारित किया गया था। इसका उद्देश्य था कि पिछड़े वर्ग के लोगों को सरकारी सेवाओं और शिक्षण संस्थाओं में प्रतिनिधित्व मिले। अब यह अधिनियम कुछ संशोधनों के साथ चंडीगढ़ में लागू किया गया है।
चंडीगढ़ में ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण (सेवाओं और शिक्षा में) मिलेगा। यह आरक्षण चरणबद्ध ढंग से 6 वर्षों में लागू किया जाएगा। पहले वर्ष में 3 प्रतिशत तथा दूसरे में 4 प्रतिशत लागू होगा। इसके बाद तीसरे वर्ष में 4, चौथे वर्ष में 5, पांचवें वर्ष में 5 और छठे वर्ष में 6 प्रतिशत आरक्षण लागू होगा। इस तरह छह वर्षों में चरणबद्ध तरीके से कुल 27 प्रतिशत आरक्षण लागू होगा। इस तरह हर वर्ष आरक्षण बढ़ता जाएगा और छह साल में पूरा 27 प्रतिशत लागू हो जाएगा। यह आरक्षण केवल ‘क्रीमी लेयर’ से बाहर के ओबीसी वर्गों को मिलेगा। ओबीसी की केंद्रीय सूची के आधार पर पात्रता तय होगी। इसी तरह ओबीसी जातियों की सूची भी 71 जातियों का जिक्र नोटिफिकेशन में किया गया है। अधिसूचना में ‘पिछड़ा वर्ग’ शब्द के स्थान पर ‘अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी)’ किया है। इसी तरह ‘राज्य सरकार’ की जगह ‘प्रशासक’ और ‘केंद्र सरकार’ जैसे शब्दों का प्रयोग किया है। सभी नियमों को अब संसद के समक्ष पेश करना अनिवार्य होगा।
इन जातियों को मिलेगा लाभ
अधिसूचना में ओबीसी की 71 जातियों की सूची दी गई है। इनमें अहीर/यादव, सैनी, नाई, कुम्हार, लोहान, मोची, बुनकर, सुनार, पाल, गडरिया, घासी, धोबी, मल्लाह, कश्यप-राजपूत, राय सिख, गुर्जर, मीना, लबाना, रामगढ़िया, रेहारी, ठठेरा आदि जातियों की पूर्ण सूची गजट अधिसूचना में उपलब्ध है।
सेवाओं में आरक्षण का ढांचा
तृतीय व चतुर्थ श्रेणी पदों के लिए 16 से 27 प्रतिशत तक आरक्षण
प्रथम व द्वितीय श्रेणी पदों के लिए 11 प्रतिशत तक आरक्षण
सरकार का तर्क
केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी की गई अधिसूचना के अनुसार यह कदम सामाजिक न्याय और संवैधानिक समानता के तहत उठाया गया है, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि चंडीगढ़ में रहने वाले हरियाणा मूल के ओबीसी नागरिकों को समान अवसर मिल सकें।