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NWCP 2025 at PGI : विशेषज्ञों का संदेश : सही शोध ही बनाता है दवाओं को सुरक्षित और इलाज को प्रभावी

NWCP 2025 at PGIपीजीआई चंडीगढ़ में चल रही 41वीं वार्षिक राष्ट्रीय कार्यशाला ऑन क्लिनिकल फार्माकोलॉजी (एनडब्ल्यूसीपी 2025) के दूसरे दिन यह विचार उभरकर सामने आया कि ‘अच्छा शोध सिर्फ प्रयोगशालाओं तक सीमित नहीं रहता, बल्कि मरीजों तक सुरक्षित इलाज के...
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NWCP 2025 at PGIपीजीआई चंडीगढ़ में चल रही 41वीं वार्षिक राष्ट्रीय कार्यशाला ऑन क्लिनिकल फार्माकोलॉजी (एनडब्ल्यूसीपी 2025) के दूसरे दिन यह विचार उभरकर सामने आया कि ‘अच्छा शोध सिर्फ प्रयोगशालाओं तक सीमित नहीं रहता, बल्कि मरीजों तक सुरक्षित इलाज के रूप में पहुंचता है।’ विशेषज्ञों ने इस दौरान विज्ञान, नैतिकता और मरीजों की सुरक्षा के बीच संतुलन को चिकित्सा शोध की सबसे बड़ी जिम्मेदारी बताया।

डॉ. राजन मित्तल ने कन्फर्मेटरी क्लिनिकल ट्रायल्स के महत्व पर बोलते हुए कहा कि इसी प्रक्रिया से तय होता है कि कौन सी दवा वास्तव में प्रभावी और सुरक्षित है। प्रो. स्मिता पटनायक ने थेराप्यूटिक ड्रग मॉनिटरिंग को व्यक्तिगत उपचार की कुंजी बताया, जिससे मरीजों के लिए दवाओं की सही खुराक सुनिश्चित की जा सके।

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प्रो. गणेश दाखले ने गुड क्लिनिकल प्रैक्टिस को नैतिक शोध का केंद्र बताया, जबकि डॉ. राहुल राठौड़ ने मेडिकल डिवाइसेज की सख्त जांच और मूल्यांकन प्रक्रिया की जरूरत पर जोर दिया।

डॉ. दिपांजन भट्टाचार्य ने पोस्ट-मार्केटिंग ड्रग सेफ्टी पर चर्चा करते हुए कहा कि बाजार में आने के बाद भी दवाओं की निरंतर निगरानी बेहद जरूरी है। वहीं डॉ. सना शेख ने फार्मा इंडस्ट्री में करियर के अवसरों पर प्रकाश डाला।

प्रो. मधु गुप्ता ने वैक्सीन क्लिनिकल ट्रायल्स को सार्वजनिक स्वास्थ्य अनुसंधान का सबसे संवेदनशील और समयानुकूल क्षेत्र बताया। दिन का समापन हैंड्स-ऑन ट्रेनिंग सेशन से हुआ, जिसमें प्रतिभागियों ने क्लिनिकल फार्माकोलॉजी यूनिट्स, सीएनएस, सीवीएस और एनालिटिकल तकनीकों का व्यावहारिक अनुभव प्राप्त किया। इस सत्र ने प्रतिभागियों को यह समझने में मदद की कि क्लिनिकल फार्माकोलॉजी का असली सार मरीज-केंद्रित शोध और व्यवहारिक विज्ञान के संयोजन में निहित है।

 

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