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अब हाउसिंग सोसायटियां भी देंगी हिसाब, फ्लैट मालिकों को मिला आरटीआई हक

12 साल बाद बड़ी राहत
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चंडीगढ़ की 115 हाउसिंग सोसायटियों और उनमें रहने वाले करीब 15 हजार फ्लैट मालिकों को 12 साल बाद बड़ी राहत मिली है। संयुक्त रजिस्ट्रार कोऑपरेटिव सोसायटीज (जेआरसीएस) नितीश सिंगला ने एक अपील पर सुनवाई करते हुए आदेश दिया कि केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी (सीपीआईओ) अब सोसायटियों से जानकारी एकत्र कर आवेदक को उपलब्ध कराएं।

आवेदक अश्वनी कुमार मुंजाल ने 2 अप्रैल, 2025 को आरटीआई में सोसायटी के बैंक अकाउंट स्टेटमेंट, बैलेंस शीट, ऑडिट रिपोर्ट, लंबित कोर्ट केसों और एफडीआर का ब्योरा मांगा था। 28 अप्रैल, 2025 को सीपीआईओ ने ज्यादातर सूचना देने से इनकार कर केवल 2018-19 की ऑडिट रिपोर्ट दी। जांच में सामने आया कि 2019 से 2024 तक कोई ऑडिट ही नहीं हुआ।

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इसके विरोध में मुंजाल ने 4 मई, 2025 को प्रथम अपील दायर की। सुनवाई के दौरान उन्होंने 2012 और 2017 के उन आदेशों का हवाला दिया, जिनमें डिप्टी कमिश्नर व रजिस्ट्रार कोऑपरेटिव सोसायटीज ने स्पष्ट किया था कि सोसायटियां पब्लिक अथॉरिटी के अधीन आती हैं और आरटीआई एक्ट के तहत सूचना देनी होगी। सुप्रीम कोर्ट और केरल हाईकोर्ट के फैसलों का उल्लेख करते हुए उन्होंने दलील दी कि रजिस्ट्रार के पास सोसायटियों से जानकारी एकत्र करने का अधिकार है।

जेआरसीएस ने सभी तथ्यों पर विचार कर अपील स्वीकार की और आदेश दिया कि सीपीआईओ 30 दिन में जानकारी उपलब्ध कराएं। इस फैसले से सेक्टर 48, 49, 50 और 51 की सोसायटियों के निवासियों को प्रबंधन समितियों की पारदर्शिता पर निगरानी का अवसर मिलेगा।

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