अन्य यूटी की तरह चंडीगढ़ में भी उपराज्यपाल की नियुक्ति की राह खोलने वाले प्रस्तावित संविधान संशोधन विधेयक की पंजाब में तीखी आलोचना के बीच केंद्र ने अपने कदम पीछे खींच लिए हैं। गृह मंत्रालय ने रविवार को एक बयान में कहा कि केंद्र सरकार का संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में इस संबंध में विधेयक पेश करने का कोई इरादा नहीं है। हालांकि, मंत्रालय ने माना कि चंडीगढ़ से संबंधित प्रस्ताव विचाराधीन है और कहा कि इसका उद्देश्य चंडीगढ़ के लिए नियम-कानून बनाने की प्रक्रिया को सरल बनाना है, न कि इसके प्रशासनिक ढांचे को बदलना।
एक दिसंबर से शुरू हो रहे शीत सत्र के लिए शनिवार को जारी लोकसभा और राज्यसभा के बुलेटिन में संविधान (131वां संशोधन) विधेयक 2025 को शामिल किये जाने का जिक्र था। चंडीगढ़ को संविधान के अनुच्छेद 240 के दायरे में लाने संबंधी प्रस्ताव वाले इस विधेयक पर पंजाब के नेताओं ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी। यह अनुच्छेद राष्ट्रपति को केंद्र शासित प्रदेश के लिए नियम बनाने और सीधे कानून बनाने का अधिकार देता है।
कांग्रेस ने केंद्र को कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि सरकार ने अपनी योजना को पूरी तरह से वापस नहीं लिया है। पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग ने कहा कि केंद्र की मंशा पर अभी भी संदेह है, क्योंकि उसने योजना को केवल स्थगित किया है, इसे रद्द नहीं किया। वड़िंग ने कहा, ‘क्या गारंटी है कि यह बिल संसद के अगले सत्रों में नहीं लाया जाएगा?’ उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस के सांसद शीतकालीन सत्र में इस कदम का विरोध करेंगे।
इस बीच, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘चंडीगढ़ के हितों को ध्यान में रखते हुए सभी हितधारकों के साथ पर्याप्त परामर्श के बाद ही कोई उपयुक्त निर्णय लिया जाएगा।’ मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘चंडीगढ़ के लिए कानून-निर्माण प्रक्रिया को सरल बनाने का प्रस्ताव अब भी केंद्र सरकार के पास विचाराधीन है। इस प्रस्ताव पर अभी कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है। प्रस्ताव किसी भी तरह से चंडीगढ़ के शासन या प्रशासनिक ढांचे में बदलाव करने का प्रयास नहीं करता और न ही इसका उद्देश्य पंजाब या हरियाणा के बीच पारंपरिक व्यवस्था को बदलना है।’
बैठक के बाद बदला फैसला
गृह मंत्रालय का बयान रविवार सुबह पंजाब और केंद्रीय भाजपा के शीर्ष नेताओं की एक वर्चुअल बैठक के बाद आया, जिसमें प्रस्तावित बिल के बाद की स्थिति पर चर्चा की गई। बैठक में केंद्र से भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुघ और राज्य मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू सहित पंजाब भाजपा के सभी कोर कमेटी सदस्य शामिल हुए, जिनमें राज्य अध्यक्ष सुनील जाखड़, कार्यकारी अध्यक्ष अश्वनी शर्मा और संगठन सचिव मन्त्री श्रीनिवासुलु भी थे। ट्रिब्यून से मिली जानकारी के अनुसार, बैठक में इस प्रस्तावित बिल पर दोबारा विचार करने पर सहमति बनी। बैठक के बाद, जाखड़ ने कहा कि वह केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिलेंगे। उन्होंने कहा कि चंडीगढ़ की प्रशासनिक जरूरतों को पूरा करने के लिए पंजाब की भावनाओं को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। चंडीगढ़ सिर्फ एक भौगलिक हिस्सा नहीं है, पंजाब की भावनाएं इससे जुड़ी हैं।
चंडीगढ़ पंजाबियों को जान से प्यारा : बिट्टू
चंडीगढ़ (नितिन जैन) : केंद्रीय रेलवे और खाद्य प्रसंस्करण राज्य मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू ने इस विवाद को ‘जानबूझकर फैलाई गयी अफवाह’ करार दिया। उन्होंने कहा, ‘ऐसा नहीं हो रहा जो चंडीगढ़ पर पंजाब के अधिकार को प्रभावित करे।’ मोदी कैबिनेट में पंजाब के एकमात्र प्रतिनिधि बिट्टू ने ट्रिब्यून से बात करते हुए कहा कि यह विपक्षी दलों द्वारा फैलाए जा रहे बिल्कुल बेबुनियाद और भावनाओं से खेलने वाले आरोप हैं कि पंजाब के चंडीगढ़ के साथ लंबे समय से चले आ रहे प्रशासनिक संबंध को केंद्र समाप्त करने जा रहा है। उन्होंने कहा, चंडीगढ़ पंजाबियों के लिए जान से भी ज्यादा प्यारा है। एक पंजाबी और एक मंत्री के तौर पर मैं पूरी जिम्मेदारी के साथ कहता हूं— ऐसा कुछ भी नहीं हुआ, कुछ भी नहीं हो रहा है, और भविष्य में कभी नहीं होगा।

