लोकसभा में सांसद मनीष तिवारी ने उठाई आवाज, चंडीगढ़ के 25 साल पुराने लंबित मुद्दे सुलझाने की अपील
तिवारी ने हिस्सेदारी प्रॉपर्टी की बिक्री पर लगी रोक को अनुचित बताते हुए कहा कि इससे शहर के कई परिवार प्रभावित हो रहे हैं। राहत और पुनर्वास बस्तियों में रहने वाले लोगों को मालिकाना हक देने का मामला भी करीब 25 वर्षों से लंबित है। इसी क्रम में उन्होंने लाल डोरा से जुड़ी समस्या का उल्लेख किया और कहा कि चंडीगढ़ 22 गांवों की जमीन पर बसाया गया था, लेकिन लाल डोरा समाप्त करने की प्रक्रिया ढाई दशक से आगे नहीं बढ़ पाई है।
सांसद ने बताया कि हाउसिंग बोर्ड के मकानों में जरूरत के अनुसार किए गए परिवर्तन पर राहत देने से जुड़े मामले भी लगभग दो दशक से पेंडिंग हैं। इसके अलावा कोऑपरेटिव और ग्रुप हाउसिंग सोसाइटीज से जुड़े कई महत्वपूर्ण केस भी लंबे समय से अटके हुए हैं।
उन्होंने सदन के माध्यम से केंद्र सरकार से अनुरोध किया कि 12 दिसंबर की प्रस्तावित बैठक में इन सभी पुराने मामलों का समाधान निकाला जाए, क्योंकि ये मुद्दे चंडीगढ़ निवासियों के जीवन से सीधे जुड़े हैं और लगभग 25 वर्षों से न्याय की प्रतीक्षा में हैं।
