मोरनी में बंदरों का आतंक, ग्रामीण और स्वास्थ्य कर्मी परेशान
क्षेत्र में बंदरों का आतंक तेजी से बढ़ता जा रहा है, जिससे ग्रामीणों और सरकारी कर्मचारियों का जीना दूभर हो गया है। मोरनी में महिलाएं और बच्चे इन बंदरों का पहला निशाना होते हैं। ये इनपर झपटकर इन्हें घायल करने सहित उनसे सामान आदि छीन लेते हैं।
स्वास्थ्य केंद्र में तैनात कर्मचारी और इलाज के लिए आने वाले मरीज भी लगातार खतरनाक बंदरों का निशाना बन रहे हैं। अस्पताल स्टाफ, मरीजों और उनके परिजनों के लिए अस्पताल परिसर में सुरक्षित रहना बेहद मुश्किल हो गया है।
बंदरों की यह समस्या स्कूली छात्रों के लिए भी खतरा बन चुकी है। आए दिन बंदर छोटे बच्चों को काट लेते हैं और स्कूल जाते समय छात्रों से खाने-पीने की वस्तुएं छीनकर भाग जाते हैं। डर के माहौल में छात्र स्कूल जाने से हिचकिचाने लगे हैं। वहीं दुकानदार भी बड़ी मुश्किल का सामना कर रहे हैं क्योंकि बंदर दुकानों के भीतर रखे सामान तक को नुकसान पहुंचाते हैं और उठाकर पेड़ों पर लेकर बैठ जाते हैं।
स्थानीय निवासी विजय पाल, नरेश कौशिक, रोहित और किरण आदि का कहना है कि लगभग हर रोज बंदर किसी न किसी को घायल कर रहे है। इसके अलावा बंदर घरों में छत पर सुखाए गए अनाज को खा जाते है या खराब करते है और सुखाए हुए कपड़े फाड़ देते हैं।
कुछ वर्ष पहले ग्राम पंचायत की ओर से बंदरों को पकड़कर दूर छोड़ा गया था, लेकिन उनकी संख्या अब फिर से बढ़ चुकी है। स्थानीय निवासी प्रशासन से इस समस्या का स्थायी समाधान निकालने की लगातार मांग कर रहे हैं।