मोहाली नगर निगम की वित्तीय हालत खस्ता, सरकार और विधायक पर मेयर जीती सिद्धू का तीखा हमला
मोहाली नगर निगम के मेयर अमरजीत सिंह जीती सिद्धू ने पंजाब सरकार और स्थानीय विधायक कुलवंत सिंह पर तीखा हमला बोलते हुए आरोप लगाया कि नगर निगम की वित्तीय स्थिति बेहद खराब हो चुकी है। उन्होंने कहा कि इसके बावजूद ग्रेटर मोहाली क्षेत्रीय विकास प्राधिकरण (गमाडा) और पंजाब राज्य विद्युत निगम लिमिटेड (पीएसपीसीएल) की तरफ से निगम को मिलने वाली वैध राशि को भी जानबूझकर रोका जा रहा है।
मेयर ने दैनिक ट्रिब्यून से विशेष बातचीत में जानकारी दी कि इन दोनों विभागों की ओर नगर निगम के 50 करोड़ रुपये से अधिक बकाया हैं। इसके अलावा विभिन्न सरकारी विभागों से 7 करोड़ रुपये से अधिक के संपत्ति कर (प्रॉपर्टी टैक्स) की राशि भी अटकी हुई है। इस स्थिति के चलते निगम के लिए कर्मचारियों को वेतन देना मुश्किल हो गया है, विकास कार्यों के टेंडर रुक गए हैं और पहले से कराए गए कार्यों की भुगतान प्रक्रिया भी ठप पड़ी है।
जीती सिद्धू ने बताया कि जब मोहाली नगरपालिका परिषद हुआ करती थी, वह ए-ग्रेड श्रेणी में थी, जबकि खरड़ बी-ग्रेड और ज़ीरकपुर सी-ग्रेड में आते थे।
आज भी खरड़ और ज़ीरकपुर नगर परिषदें नक्शा पास करने, संपत्ति ट्रांसफर और एनओसी जारी करने जैसे कार्य खुद करती हैं और राजस्व वसूलती हैं। जीरकपुर के पास 700 करोड़ की राशि एवं खरड़ के पास 400 करोड़ से ज्यादा की राशि विकास कार्यों के लिए पड़ी है जबकि मोहाली में यह सभी कार्य ग्रेटर मोहाली क्षेत्रीय विकास प्राधिकरण करता है और अरबों रुपये की जमीन बेचकर भी निगम को उसका हिस्सा नहीं देता। उन्होंने बताया कि अकेले गमाडा की ओर 32 करोड़ रुपये अब भी बकाया हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि बरसाती पानी की निकासी जैसी समस्याओं के समाधान के लिए 200 करोड़ रुपये की आवश्यकता है और विकास कार्यों के लिए कुल 500 करोड़ रुपये की विशेष अनुदान जरूरी है।
उन्होंने चेतावनी दी कि यदि समय रहते समाधान नहीं निकाला गया, तो मोहाली की स्थिति और खराब हो जाएगी, जिसकी जिम्मेदारी पूरी तरह पंजाब सरकार की होगी।