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MiG-21 Farewell : विदाई के आसमान में गूंजेगी आखिरी गर्जना, 6 दशकों तक भारतीय आकाश का प्रहरी, अब चंडीगढ़ से लेगा विदाई

1971 युद्ध में ढाका गर्वनर हाउस को निशाना बना टिकाए थे पाक सेना घुटने, 1965 की लड़ाई से लेकर कारगिल युद्ध में भी दिखा था जौहर

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MiG-21 Farewell : एक युग का अंत होने जा रहा है। भारतीय वायुसेना का गौरव, दुश्मनों का खौफ़ और आकाश का अडिग प्रहरी ‘मिग-21’ दो दिन बाद यानी 26 सितंबर को अपने पहले घर चंडीगढ़ एयरबेस से आखिरी बार उड़ान भरेगा। छह दशकों तक हर युद्ध, हर मोर्चे और हर मुश्किल में वफादारी से साथ निभाने वाला यह लड़ाकू विमान अब सेवा से विदा हो रहा है।

यह सिर्फ एक विमान नहीं था, यह साहस की आवाज, शक्ति का प्रतीक और भारत के आसमान की ढाल था। 1971 का भारत-पाक युद्ध इतिहास की सबसे निर्णायक घड़ियों में से एक था। उस समय ढाका का गवर्नर हाउस पाकिस्तानी सत्ता का केंद्र था। जब मिग-21 ने गर्जना के साथ आसमान चीरते हुए वहां बम बरसाए, तो पाकिस्तान सेना के घुटने टेकने में देर नहीं लगी। इन सटीक हमलों के बाद ढाका का पतन हुआ और बांग्लादेश आज़ाद राष्ट्र के रूप में दुनिया के नक्शे पर दर्ज हुआ।

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मिग-21 की यह कार्रवाई सिर्फ़ एक मिशन नहीं थी, बल्कि करोड़ों लोगों की आज़ादी का सपना साकार करने वाली उड़ान थी। 1965 के युद्ध में जब पाकिस्तानी एफ-104 स्टारफाइटर जैसे आधुनिक विमानों ने भारत को चुनौती दी, तब मिग-21 ने उन्हें ध्वस्त कर दिया। 1999 के कारगिल युद्ध में भी इसकी दहाड़ ने दुश्मन के मनोबल को तोड़ डाला।

हाल के वर्षों में ‘बालाकोट स्ट्राइक’ और हालिया ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में भी यह अग्रिम पंक्ति में खड़ा होकर पाकिस्तान को करारा जवाब देता रहा। विंग कमांडर जयदीप सिंह कहते हैं, ‘मिग-21 केवल एक मशीन नहीं था। यह हमारी ताकत, हमारी आत्मा और हमारी जीत की गूंज था। यह हमेशा हमारी यादों में जिंदा रहेगा।’

जहां से शुरू हुई यात्रा, वहीं से विदाई

1963 में जब मिग-21 भारतीय वायुसेना के जंगी बेड़े में शामिल हुआ, तो उसका पहला ठिकाना बना 12 विंग एयरबेस चंडीगढ़। यहीं से इसकी पहली स्क्वॉड्रन बनी और यहीं से इसके शौर्य की कहानियां शुरू हुईं। 26 सितंबर को इसी चंडीगढ़ से यह आखिरी बार उड़ान भरेगा। विदाई समारोह में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह, चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ जनरल अनिल चौहान, थलसेना और नौसेना प्रमुखों के साथ कई अधिकारी और वीर पायलट शामिल होंगे। इस ऐतिहासिक उड़ान में छह मिग-21 विमान हिस्सा लेंगे और पायलट अपनी अंतिम उड़ान का अनुभव फीडबैक रिपोर्ट के रूप में दर्ज करेंगे। यह रिपोर्ट हमेशा वायुसेना की विरासत का हिस्सा रहेगी।

भावुक कर देने वाली रिहर्सल

विदाई की तैयारी में बुधवार को हुई फुल ड्रेस रिहर्सल ने ही लोगों को भावुक कर दिया। वायुसेना की शान सूर्यकिरण एरोबैटिक टीम ने आसमान में लाल-सफेद धारियां बनाते हुए अद्भुत करतब दिखाए। पैंथर और जगुआर ने भी आकाश को दहला दिया। और जब मिग-21 ने अपने पंख फैलाकर आखिरी बार उड़ान भरी, तो ज़मीन पर खड़े हर शख्स की आंखें भर आईं।

तेजस उठाएगा अब जिम्मेदारी

मिग-21 की जगह अब स्वदेशी तेजस वायुसेना का नया प्रहरी बनेगा। यह आधुनिक तकनीक से लैस है और भविष्य के युद्ध परिदृश्यों में भारत की ताकत को और बढ़ाएगा। लेकिन मिग-21 जैसी भावनात्मक जगह कोई और विमान कभी नहीं ले सकेगा।

अमर हो जाएगी यह विदाई

मिग-21 का सफर सिर्फ़ धातु, पंख और इंजन की कहानी नहीं है। यह उन पायलटों की धड़कनों की गाथा है जिन्होंने इसकी कॉकपिट से दुश्मनों को चुनौती दी। यह उन परिवारों की यादें हैं जिन्होंने अपने वीरों को आसमान की ऊंचाई पर उड़ते देखा। विदाई के बाद मिग-21 भले ही आकाश में न दिखे, लेकिन इसकी दहाड़ हमेशा भारतीय दिलों में गूंजती रहेगी। यह आखिरी उड़ान एक अध्याय का अंत है, पर इसके शौर्य की कहानियां आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देती रहेंगी।

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