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Medical Triumph आईएसओटी 2025 : पीजीआई चंडीगढ़ की रीनल ट्रांसप्लांट टीम को मिला राष्ट्रीय सम्मान

देश के शीर्ष चिकित्सा संस्थानों में शुमार पीजीआईएमईआर, चंडीगढ़ ने एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी श्रेष्ठता का प्रमाण दिया है। इंडियन सोसाइटी ऑफ ऑर्गन ट्रांसप्लांटेशन (आईएसओटी 2025) की 35वीं वार्षिक बैठक में संस्थान के रीनल ट्रांसप्लांट सर्जरी विभाग...

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आईएसओटी 2025 में अपनी उत्कृष्ट उपलब्धियों से छाप छोड़ने वाली पीजीआईएमईआर की रीनल ट्रांसप्लांट सर्जरी टीम।
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देश के शीर्ष चिकित्सा संस्थानों में शुमार पीजीआईएमईआर, चंडीगढ़ ने एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी श्रेष्ठता का प्रमाण दिया है। इंडियन सोसाइटी ऑफ ऑर्गन ट्रांसप्लांटेशन (आईएसओटी 2025) की 35वीं वार्षिक बैठक में संस्थान के रीनल ट्रांसप्लांट सर्जरी विभाग ने नेतृत्व, अनुसंधान और नवाचार के क्षेत्र में असाधारण प्रदर्शन करते हुए कई सम्मान अपने नाम किए। यह सम्मेलन 10 से 12 अक्तूबर तक जयपुर के नोवोटेल कन्वेंशन सेंटर में आयोजित हुआ, जिसमें देशभर के अंग प्रत्यारोपण विशेषज्ञ शामिल हुए।

प्रो. आशीष शर्मा को मिला राष्ट्रीय सम्मान

विभागाध्यक्ष प्रो. आशीष शर्मा को देश में पैंक्रियाज ट्रांसप्लांटेशन के क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय योगदान और प्रेरणादायक नेतृत्व के लिए राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ किशनराव बागडे द्वारा सम्मानित किया गया। प्रो. शर्मा के नाम अब तक सैकड़ों सफल ट्रांसप्लांट सर्जरी का रिकॉर्ड है, और उनका कार्य न केवल तकनीकी उत्कृष्टता बल्कि मानवीय संवेदना का भी उदाहरण माना जाता है।

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युवा चिकित्सकों की उपलब्धियां

पीजीआईएमईआर के युवा डॉक्टरों ने भी सम्मेलन में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया(

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  • डॉ. सरबप्रीत और डॉ. बेलमिन को मेंटॉर-मेंटी अवॉर्ड से सम्मानित किया गया, जो अकादमिक मार्गदर्शन और टीमवर्क की मिसाल है।
  • डॉ. प्रनीत रेड्डी और डॉ. कार्तिक ने ओरल प्रेजेंटेशन में क्रमशः प्रथम और द्वितीय पुरस्कार जीते। उनके शोध पत्र पैंक्रियाज ट्रांसप्लांटेशन और वैस्कुलर रिकंस्ट्रक्शन जैसे उन्नत विषयों पर आधारित थे।
  • डॉ. रितिका पंवार (फार्माकोलॉजी विभाग) ने टैक समिट में दूसरा पुरस्कार हासिल किया। उनका अध्ययन ट्रांसप्लांट इम्यूनोसप्रेशन पर आधारित था, जो अंतर-विभागीय सहयोग की उत्कृष्ट मिसाल माना गया।

राष्ट्रीय मंच पर पीजीआईएमईआर की धाक

इन अनेक उपलब्धियों ने न केवल पीजीआईएमईआर के रीनल ट्रांसप्लांट सर्जरी विभाग की साख को और मजबूत किया, बल्कि इस तथ्य को भी उजागर किया कि संस्थान भारत में अंग प्रत्यारोपण विज्ञान का अग्रदूत बन चुका है। नेतृत्व, नवाचार और शोध के संगम ने यह साबित किया कि चिकित्सा उत्कृष्टता केवल प्रयोगशालाओं तक सीमित नहीं, बल्कि मानवता की सेवा का सबसे ऊंचा स्वरूप है।

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