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Medical Miracle 7 फुट 7 इंच लंबाई, दर्द भरी ज़िंदगी और फिर चमत्कार, PGI चंडीगढ़ ने बिना चीरे निकाला दिमाग का ट्यूमर

एक्रोमेगली के 100 से अधिक मरीजों का सफल इलाज
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 विवेक शर्मा/ट्रिन्यू

चंडीगढ़, 26 मई

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वो जवान जिसकी लंबाई 7 फुट 7 इंच थी, जोड़ों का असहनीय दर्द और धुंधली नजर उसकी रोज़मर्रा की जिंदगी को बोझ बना चुकी थी। लेकिन पीजीआई चंडीगढ़ के डॉक्टरों की विशेषज्ञ टीम ने न सिर्फ उसकी जिंदगी में रोशनी लौटाई, बल्कि बिना सिर पर चीरा लगाए एक दुर्लभ ट्यूमर को सफलतापूर्वक निकाल कर इतिहास रच दिया।

जम्मू-कश्मीर पुलिस में तैनात 35 वर्षीय हेड कांस्टेबल एक्रोमेगली नामक दुर्लभ बीमारी से पीड़ित था। इसकी वजह थी पिट्यूटरी ग्रंथि का एक ट्यूमर, जो शरीर में ग्रोथ हार्मोन का स्तर बेकाबू कर रहा था, जिससे उसकी लंबाई असामान्य रूप से बढ़ती चली गई।

पीजीआई में अब तक का सबसे लंबा मरीज

PGIMER के इतिहास में यह अब तक का सबसे लंबा मरीज रहा, जिसकी एंडोस्कोपिक ट्रांसनेजल सर्जरी पूरी तरह सफल रही। बिना सिर पर चीरा लगाए नाक के रास्ते किए गए इस ऑपरेशन ने मिनिमली इनवेसिव तकनीक की संभावनाओं को नया आयाम दिया है।

100 से अधिक सफल केस: चिकित्सा उपलब्धि की मिसाल

इस केस के साथ PGI ने एक्रोमेगली के 100 से अधिक मरीजों का सफल इलाज कर चिकित्सा इतिहास में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि जोड़ी है। इस तकनीक से मरीज को तेज़ राहत मिलती है, साथ ही शरीर पर कोई बाहरी निशान भी नहीं रहता।

टीम वर्क की ताकत

इस जटिल ऑपरेशन को डॉ. राजेश छाबड़ा, डॉ. अपिंदरप्रीत सिंह और डॉ. शिल्पी बोस ने अंजाम दिया। डॉ. राजीव चौहान के नेतृत्व में एनेस्थीसिया टीम ने चुनौतीपूर्ण परिस्थिति को संभाला। सहयोगी रहे डॉ. इकजोत, डॉ. दृष्टि पारेख और ऑपरेशन थिएटर टेक्नीशियन गुरप्रीत सिंह।

डॉ. राजीव चौहान ने बताया, “इतनी असामान्य लंबाई वाले मरीज को एनेस्थीसिया देना बेहद चुनौतीपूर्ण था। सांस नली तक पहुंचना, मरीज की सही पोजिशनिंग और उपकरणों की व्यवस्था — हर पहलू की पहले से रिहर्सल की गई।”

ऑपरेशन के बाद राहत और रोशनी

ऑपरेशन के बाद मरीज के हार्मोन स्तर सामान्य होने लगे हैं। कुछ ही हफ्तों में उसकी नजर में सुधार, जोड़ों के दर्द में कमी और सामान्य जीवन में फर्क महसूस होने लगा है।

“यह सिर्फ सर्जरी नहीं, टीम भावना और विज्ञान की जीत है : प्रोफेसर विवेक लाल

PGIMER के निदेशक प्रो. विवेक लाल ने टीम की सराहना करते हुए कहा, “यह एक अभूतपूर्व उपलब्धि है। 100 से अधिक जटिल पिट्यूटरी ट्यूमर मामलों में सफलता संस्थान की विशेषज्ञता और प्रतिबद्धता का प्रमाण है।”

कब सतर्क हो जाएं?

डॉ. राजेश छाबड़ा के मुताबिक फंक्शनल पिट्यूटरी एडेनोमा भले कैंसर न हों, लेकिन इनसे निकलने वाले हार्मोन पूरे शरीर को प्रभावित करते हैं।

जैसे लक्षण दिखें तो तुरंत जांच कराएं। समय पर पहचान से इलाज संभव है।

अब और भी उन्नत इलाज संभव

PGI में गामा नाइफ रेडियोसर्जरी जैसी तकनीकों से इन ट्यूमर का प्रभावी इलाज संभव है। विशेषज्ञों का कहना है कि समय रहते इलाज और सर्जरी से मरीज की जिंदगी को न केवल बचाया जा सकता है, बल्कि उसका जीवन स्तर भी बेहतर किया जा सकता है।

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