मेयरों ने मांगी निगम के अधिकारियों की एसीआर लिखने की पाॅवर
एस.अग्निहोत्री/ हप्र
पंचकूला, 17 जून
हरियाणा के मेयरों ने नगर निगम के अधिकारियों एवं कर्मचारियों की एसीआर लिखने की पाॅवर मांगी है। पंचकूला में आयोजित दो दिवसीय आल इंडिया मेयर कांफ्रेंस में प्रदेश के 9 मेयरों ने एक स्वर में भारतीय संविधान के 74वें संशोधन को हरियाणा में पूर्ण रूप से लागू करने की मांग की है। पंचकूला के मेयर कुलभूषण गोयल, जिन्हें हरियाणा मेयर काउंसिल का प्रधान चुन लिया गया है, के नेतृत्व में मेयरों ने मुख्यमंत्री को अपना 15 सूत्रीय मांग पत्र सौंपा, ताकि हरियाणा के सभी निगमों को एक सशक्त मजबूती दी जा सके। महापौरों ने कहा कि निगमों के कार्यों में तेजी एवं पारदर्शिता लाने के लिये अदायगी करने का अधिकार व स्वीकृति महापौर को होनी चाहिए। सरकार द्वारा नगर निकाय एवं परिषदों में यह अधिकार चेयरमैन को पहले से प्राप्त है, उसी तर्ज पर नगर निगमों में भी महापौर के स्तर पर इसे लागू किया सुनिश्चित किया जाए। निगमों में आयुक्त व संयुक्त आयुक्त आईएएस व एचसीएस रैंक के अधिकारी होते हैं, जिस कारण कर्मचारियों पर इन अधिकारियों का दबाव अधिक होता है। जनहित कार्यों में तेजी लाने के लिए अधिकारियों व कर्मचारियों की एसीआर लिखने का अधिकार निगम के महापौर को होना चाहिए, ताकि अधिकारी-कर्मचारी को महापौर द्वारा दिए गए निर्देशो की दृढ़ता से पालना हो सके। महापौर को नगर निगम क्षेत्र में कार्य करवाने के लिए 5 करोड़ का स्वैच्छिक फंड 1 वर्ष का बजट (एम लैड और विधायक फंड की तर्ज पर) दिया जाए। मेयरों ने मांग की है कि भारत सरकार एवं प्रदेश सरकार या किसी अन्य सरकारी संस्था द्वारा निगम क्षेत्र में बनाई जाने वाली किसी भी प्रकार की योजना जैसे कि स्मार्ट सिटी व अन्य कोई भी योजना को बनवाने व लागू करने में महापौर को अध्यक्ष पीएमडीए, गमाडा या उसके सदस्य के तौर पर शामिल किया जाना चाहिए। निगम कार्यालय में कार्यरत अधिकारियों व कर्मचारियों को इंटरनल बदली करने से पूर्व आयुक्त नगर निगम द्वारा उसकी अनुमति महापौर से लेना अनिर्वाय होना चाहिए। कहा कि महापौर नगर निगमो को 50 लाख तक टेंडर के बिना नगर निगम क्षेत्र में विकास करने के लिये अधिकार दिया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि प्रोटोकाल के अनुसार महापौर का पद मुख्य सचिव के बराबर का है । अत: महापौर को भी आर्थिक मेडिकल सुविधांए मुख्य सचिव के पदानुसार दी जानी चाहिए। सरकार द्वारा जिस प्रकार मंत्री, सांसद एवं विधायक के प्रोटोकाल बनाए गए उसी तर्ज पर भी महापौर का प्रोटोकाल मैनुअल बनाना सुनिश्चित किया जाए।
सभी वरिष्ठ उपमहापौर, उप महापौर व पार्षदों को उनके पदानुसार आर्थिक शक्तिया दी जानी चाहिए।