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समाज में बदलावकारी भूमिका निभाता है साहित्य : पुरोहित

चंडीगढ़ साहित्य अकादमी का वार्षिक पुरस्कार वितरण समारोह
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Awardees pose for a group photo during annual award ceremony of Chandigarh Sahitya Akademi at Sector-16, Chandigarh on Sunday. TRIBUNE PHOTO: NITIN MITTAL
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अरुण नैथानी/ट्रिन्यू

चंडीगढ़, 30 जून

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पंजाब के राज्यपाल और चंडीगढ़ के प्रशासक बनवारी लाल पुरोहित ने कहा है कि देश में सामाजिक बदलाव लाने में साहित्य ने बड़ी भूमिका निभायी है। उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान जन-जन में जोश भरने वाली कृतियों के रचनाकारों का भावपूर्ण स्मरण किया। उन्होंने स्मरण किया कि झांसी की रानी लक्ष्मीबाई पर बहुचर्चित रचना रचने वाली सुभद्रा कुमारी चौहान ने कैसे इसमें अपना योगदान न होने की बात कहकर एक बड़ा पुरस्कार लौटा दिया था।

सेक्टर-16 स्थित पंजाब कला भवन में चंडीगढ़ साहित्य अकादमी के वार्षिक पुरस्कार वितरण समारोह में राज्यपाल साहित्य के गहरे रंग में रंगे नजर आए। उन्होंने कहा कि चीन व जापान हमें आजादी मिलने के आसपास के वक्त में ही आजाद हुए, लेकिन भारत यदि इन देशों के मुकाबले तरक्की नहीं कर पाया तो उसके मूल में देश में व्याप्त भ्रष्टाचार है। हम खुद इसके खिलाफ उठें। हमारा जीवन सादगी वाला हो। हम सीमित संसाधनों में जिएं। फिर हमें भ्रष्ट होने की जरूरत नहीं होगी। हम अपनी आवश्यकताओं को देखकर खर्च करें, न कि दूसरों की स्पर्द्धा करके। चंडीगढ़ के रचनाकारों की रचनाधर्मिता की उन्होंने मुक्तकंठ से प्रशंसा की और पंजाबियों को बड़े दिलवाला बताया। उन्होंने प्रेमचंद के साहित्य की मुक्तकंठ से प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि प्रेमचंद ने सरल-सहज भाषा में आम आदमी को छूते विषयों पर लिखा। उन्होंने कहा कि प्रेमचंद की रचना ‘नमक का दरोगा’ ने मुझे गहरे तक प्रभावित किया, जिसमें ईमानदार पुलिस का दारोगा लाखों की रिश्वत ठुकरा देता है। राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने कहा कि इस रचना ने मुझे पूरे जीवन में ईमानदार बने रहने के लिये प्रेरित किया।

राज्यपाल पुरोहित ने हिंदी की पुरजोर वकालत करते हुए कहा कि यह गांधी जी का मिशन था कि हिंदी देश को जोड़े। उन्होंने कहा कि ‘मैं गैर हिंदी भाषी क्षेत्र महाराष्ट्र के नागपुर से आता हूं। मैं दशकों तक एक अंग्रेजी अखबार का मैनेजिंग एडिटर रहा, लेकिन जब भी विधायक, सांसद और राज्यपाल के रूप में सार्वजनिक मंचों में बोला तो सदैव हिंदी का ही प्रयोग किया। इससे पहले केंद्रीय साहित्य अकादमी अध्यक्ष व चंडीगढ़ साहित्य अकादमी के चेयरमैन माधव कौशिक ने राज्यपाल का स्वागत करते हुए अकादमी की रचनात्मक गतिविधियों का उल्लेख किया। वहीं अकादमी के सेक्रेटरी सुभाष भास्कर ने पुरस्कारों व पुस्तकों के चयन की प्रक्रिया से अवगत कराया।

उल्लेखनीय योगदान के लिए मिला सम्मान

विभिन्न भाषाओं के साहित्य की अलग-अलग विधाओं में उल्लेखनीय योगदान के लिए हिंदी में कथाकार राजेंद्र कुमार कन्नोजिया, अंग्रेजी में वरिष्ठ प्रशासानिक अधिकारी सुमिता मिश्रा, संस्कृत में प्रेमनाथ पंकज, पंजाबी में स्वराजबीर व उर्दू में जरीना नगमी को राज्यपाल ने सम्मानित किया। इस वर्ष की सर्वश्रेष्ठ पुस्तकों के लिये अनीश गर्ग, अजय सिंह राना, ओम प्रकाश सोंधी, निरमल जसवाल, जसविंदर शर्मा, सुभाष शर्मा, प्रतिमा डोमेल, बलविंदर चहल, गुरदीप गुल, व रेणु बहल शामिल थे। वहीं दूसरी ओर जिन रचनाकारों की पांडुलिपियों का चयन चंडीगढ़ साहित्य अकादमी के आर्थिक सहयोग से प्रकाशन के लिये किया गया, उनमें दलजीत कौर, विमला गुगलानी, अनंत शर्मा,रेखा मित्तल, शैली विज, अनु निमल,अनुराधा अग्निहोत्री, मंजू मल्होत्रा, संगीता शर्मा, सुरेंद्रपाल, राजेंद्र कुमार, विनोद कुमार, पीयूष कुमार, सुखवीर कौर,शहयार भट्टी, मनप्रीत सिंह, जिज्ञासा खरबंदा व विनोद खन्ना शामिल थे। अंत में वाइस चेयरमैन मनमोहन सिंह ने सभी का आभार व्यक्त किया।

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