अंतिम सौदा... भरे मन से दुकानदारों ने औने-पौने दामों में बेचा सामान
पूरी जिंदगी यहीं गुजर गई, अब कहां जाएं?
बाजार में शनिवार को एक अजीब दृश्य देखने को मिला जब कुछ दुकानदार अपने वर्षों पुराने माल को ग्राहकों को अंतिम बार बेचते दिखे, तो कई अपने सामान को समेटते हुए भविष्य की अनिश्चितताओं में डूबे रहे। 60 वर्षीय हरपाल सिंह कहते हैं कि मेरी पूरी जिंदगी इस दुकान में गुजर गई। बच्चों की पढ़ाई से लेकर घर का हर खर्च यहीं से चला। अब अचानक उजाड़ दिया जाएगा, तो जाऊं कहां? उनकी आंखों में डर और गुस्से का मिला-जुला भाव था।
हमें उजाड़ा जा रहा है, बसाया नहीं जा रहा
फर्नीचर मार्केट एसोसिएशन के प्रधान संजीव भंडारी कहते हैं कि 1986 से यहां दुकानें चल रही हैं। 2002 में भूमि अधिग्रहण हुआ, लेकिन प्रशासन ने पुनर्वास का वादा करके भूल गया। अब अचानक बुलडोज़र की चेतावनी मिल रही है।
फर्नीचर एसोसिएशन फेज-1 व 2 के चेयरमैन नरेश कुमार कहते हैं कि यह मार्केट कोई अवैध ठेला मार्केट नहीं है। यहां से हर महीने सरकार को जीएसटी जाता है। प्रशासन को कम से कम सेक्टर-56 की बल्क मार्केट में जगह देकर वैकल्पिक समाधान देना चाहिए, जैसा मौखिक रूप से वादा किया गया था।
वादा किया, निभाया नहीं
दुकानदारों ने बताया कि 30 जनवरी 2024 को प्रशासन के साथ बैठक हुई थी, जिसमें पुनर्वास की मांग रखी गई थी। लेकिन छह महीने तक कोई जवाब नहीं आया और अब अचानक तोड़फोड़ की तारीख घोषित कर दी गई है।
राजनीतिक विरोध भी शुरू
कांग्रेस नेता हरमेल केसरी ने प्रशासन की कार्रवाई को ‘अत्यंत निंदनीय’ बताया। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ दुकानों की बात नहीं है, बल्कि उन सैकड़ों परिवारों की भी है जिनकी रोजी-रोटी इस बाजार से चलती है। यदि प्रशासन ने इन्हें बसाने की योजना पहले ही बना ली होती, तो इतना आक्रोश न होता।