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‘गुड मोटरिंग’ वाले किशी सिंह निकले अपने अगले सफर पर

नहीं रहे सड़कों, कहानियों और साहस के बुनकर

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रूपिंदर सिंह

भारतीय पत्रकारिता के आकाश में एच. किशी सिंह का नाम एक अद्वितीय सितारे की तरह चमकता है। 27 अक्तूबर, 2024 को 87 वर्ष की आयु में उनका निधन, एक ऐसी शख्सियत को खोने का दुख है जिसने अपने गाड़ी चलाने के जुनून को शब्दों में साकार किया। एच किशी सिंह, जिनका असली नाम हरकृष्ण सिंह था, ने अपनी लेखनी से मोटरिंग के क्षेत्र में एक नई पहचान बनाई।

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किशी का गाड़ी चलाने का जुनून उनके अनुभवों में स्पष्ट रूप से झलकता था। लंदन से दिल्ली और फिर दिल्ली से तेहरान तक की यात्रा ने उन्हें एक अद्भुत यात्रा विशेषज्ञ बना दिया। हिमालय में कार रैलियों का आयोजन उनके लिए न केवल एक शौक था, बल्कि यह उनके जीवन का एक अभिन्न हिस्सा बन गया। एक यादगार सुबह, उन्होंने मुझे सोलन के बर्फ से ढके पहाड़ों की सुंदरता का अनुभव कराने के लिए बुलाया। उस दिन, हमने बर्फ से ढके पेड़ों के बीच जानवरों के पैरों के निशान देखे, जो आज भी मेरी स्मृतियों में ताजा हैं। किशी की कहानियां ऐसे ही अनुभवों से भरी हुई थीं, जो पाठकों को एक अनोखी यात्रा पर ले जाती थीं।

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किशी का लेखन ‘गुड मोटरिंग’ कॉलम के माध्यम से द ट्रिब्यून के पाठकों के दिलों में स्थायी स्थान बना चुका था। यह कॉलम 27 वर्षों तक चला, जिसमें उन्होंने अपने अद्वितीय दृष्टिकोण और अनुभवों को साझा किया। उनका लेखन केवल गाड़ी चलाने की तकनीकी जानकारी नहीं देता था, बल्कि यात्रा के दौरान सामने आने वाले अनगिनत अनुभवों और भावनाओं को भी बखूबी उकेरता था। वह न केवल दुपहिया मोटरसाइकिल चलाने में माहिर थे, बल्कि विदेशों में भी अपनी गाड़ी चलाने के अनुभवों को पाठकों के साथ साझा करते थे। किशी का जीवन एक प्रेरणादायक यात्रा की कहानी है। 28 अगस्त, 1937 को शिमला में जन्मे थे, वह पंजाब के शाहकोट के निवासी थे। उनके पिता सरदार संतोख सिंह एक विद्वान थे, जिन्होंने भारत के योजना आयोग में सलाहकार के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी माता सरदारनी मालविंदर कौर भी एक प्रभावशाली व्यक्तित्व थीं, जिनकी पृष्ठभूमि ने किशी को हमेशा आगे बढ़ने की प्रेरणा दी। किशी की शिक्षा शिमला और पटियाला के प्रतिष्ठित स्कूलों में हुई और बाद में उन्होंने दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज से स्नातक की डिग्री प्राप्त की।

किशी ने एयर इंडिया में अपने करियर की शुरुआत की और बाद में विदेशों में विभिन्न व्यवसायों में कार्य किया। वे एक फॉर्मूला-3 ड्राइवर और ‘फोर्ड मुस्टैंग’ के गर्वित मालिक रहे। उनके जीवन के कई पहलुओं ने उन्हें एक विविधतापूर्ण व्यक्तित्व प्रदान किया। उनकी लेखनी में सदैव एक विशेष मजाकिया पुट रहता था, जिससे वे पाठकों के दिलों में आसानी से जगह बना लेते थे।

किशी की सक्रियता केवल लेखन तक सीमित नहीं थी। उन्होंने ‘गुड मोटरिंग’ नामक पुस्तक प्रकाशित की, जिसमें उनके स्तंभों का संकलन है। इसके अलावा, उन्होंने ‘व्हिसपरिंग देवदार’ नामक पुस्तक में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनकी लेखनी न केवल मोटरिंग के शौकीनों के लिए, बल्कि हर पाठक के लिए प्रेरणादायक थी।

किशी सिंह का नाम एक लेखक के रूप में ही नहीं, बल्कि एक अद्वितीय व्यक्तित्व के रूप में अमर रहेगा। उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि यात्रा केवल एक जगह से दूसरी जगह जाने का नाम नहीं है, बल्कि यह एक गहन अनुभव है जो हमारी सोच और संवेदनाओं को बदलता है। उनकी कहानियां हमेशा हमें प्रेरित करती रहेंगी और उनकी यादें हमारे दिलों में सदैव जीवित रहेंगी। किशी का सफर अब नए रास्तों पर जारी है और उनके अनुभव हमेशा हमारे साथ रहेंगे।

श्रद्धांजलि सभा आज

प्रसिद्ध लेखक एच. किशी सिंह को चंडीगढ़ में श्रद्धांजलि दी जाएगी। 27 अक्तूबर को 87 वर्ष की आयु में उनके निधन के बाद आज शहरवासी उन्हें अंतिम विदाई देने के लिए एकत्रित होंगे। इस अवसर पर उनके मित्रों, परिवार और प्रशंसकों के बीच उनकी लेखनी और गाड़ी चलाने के जुनून की यादें साझा की जाएंगी।

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