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कौशल्या डैम का पानी सेहत के लिए हानिकारक

पिंजौर शहर के गंदे नालों का पानी डैम को कर रहा प्रदूषित
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पिंजौर, 9 जून (निस)

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पिंजौर एचएमटी के समीप बरसाती नदी कौशल्या पर सरकार ने वर्ष 2012 में लगभग 150 करोड़ रुपए की लागत से कौशल्या डैम का निर्माण किया था ताकि इस पानी को ट्रीटमेंट प्लांट से पीने योग्य बनाकर इसे पंचकूला के विभिन्न हूडा सेक्टरों में सप्लाई किया जा सके। लेकिन इस डैम में पिंजौर के गंदे नालों का पानी, नदी किनारे स्थित गौशाला, इसी के समीप नगर परिषद द्वारा पिंजौर-कालका शहरों के कूड़े करकट का बनाया गया डंपिंग ग्राउंड और यहीं पर बसी एक बड़ी झुग्गी बस्ती का सारा दूषित पानी इसी नदी में से होकर डैम के जलाशय में मिल रहा है जो डैम के पानी को दूषित कर रहा है। यदि कौशल्या नदी में गिरने वाले गंदे पानी को ना रोका गया तो यह दूषित पानी कभी भी महामारी का रूप ले सकता है।

इसी विषय पर शिवालिक विकास मंच प्रदेशाध्यक्ष एवं कांग्रेस नेता विजय बंसल एडवोकेट ने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, हूडा विभाग, सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य विभाग सहित नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) को ज्ञापन भेज कर नदी में गिर रहे गंदे पानी को रोकने और डंपिंग ग्राउंड को यहां से शिफ्ट करने की मांग की है ताकि नदी का जल दूषित ना हो सके और लोगों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध हो। ज्ञापन में विजय बंसल ने कहा कि पिछले कई वर्षों से पिंजौर के चोना चौक से गंदे नाले का पानी और बैरागी मोहल्ला, सैनी मोहल्ला, गुरुद्वारा रोड, कबीरपंथी मोहल्ला, भीमा देवी कॉलोनी सहित पूरे बाजार का गंदा पानी नालियों में से बहकर पिंजौर गार्डन के पुल के नीचे से होते हुए सीधा डैम में जा रहा है इतना ही नहीं गंदा पानी कूड़े में से होकर गुजरता है जो इसे और अधिक विषैला बना देता है। बारिश होते ही बरसात का यह पानी सारी गंदगी को बहाकर डैम के जलाशय में मिला रहा है जो कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेशों का सरासर उल्लंघन है। इतना ही नहीं सीआरपीएफ कैंप का भी गंदा पानी सीधे कौशल्या नदी में जा रहा है। लेकिन ना तो नगर परिषद प्रशासन न ही जिला प्रशासन और ना ही सिंचाई और जन स्वास्थ्य विभाग को इसकी कोई चिंता है।

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