सिर्फ 12 घंटे... और मैं अपने पैरों पर थी!
चंडीगढ़, 2 मार्च (ट्रिन्यू)
'मुझे लगा था कि अब सब कुछ खत्म हो गया... लेकिन मैं गलत थी।' 35 वर्षीय आरती (बदला हुआ नाम) की आंखों में वो डर अब भी झलकता है, जो उसने डॉक्टर की रिपोर्ट देखते वक्त महसूस किया था।
पिछले कुछ महीनों से उसका जीवन एक संघर्ष बन गया था। हर महीने असहनीय दर्द, भारी रक्तस्राव और लगातार होने वाली कमजोरी ने उसे अंदर तक तोड़ दिया था। जब डॉक्टर ने बताया कि उसके गर्भाशय में सात बड़े फाइब्रॉएड हैं, तो उसकी चिंता और बढ़ गई। दूसरे अस्पतालों में सलाह ली, तो जवाब मिला – 'ओपन सर्जरी करनी होगी, खतरा भी रहेगा, रिकवरी में महीनों लग सकते हैं।'
लेकिन एक दोस्त की सलाह पर वह फोर्टिस अस्पताल, मोहाली पहुंची, जहां उसकी मुलाकात डॉ. स्वप्ना मिश्रा से हुई। उन्होंने उसे एक नई उम्मीद दी – रोबोटिक सर्जरी!
आरती को विश्वास नहीं हुआ कि बिना बड़े चीरे और बिना ज्यादा खून बहाए भी सर्जरी संभव है। डा विंची एक्सआई नाम के रोबोट की मदद से डेकेयर गायनी रोबोटिक सर्जरी की गई।
सिर्फ कुछ छोटे चीरों से रोबोटिक आर्म्स ने बेहद सटीक ढंग से ऑपरेशन किया, और 12 घंटे बाद आरती अपने पैरों पर खड़ी थी। उसे खून चढ़ाने की जरूरत नहीं पड़ी, न ही किसी बड़ी जटिलता का सामना करना पड़ा। पहली बार ऐसा हुआ कि सर्जरी के बाद मैं खुद से चलकर घर गई! अगले ही दिन वह अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में लौट आई।
60 साल की महिला के लिए वरदान बनी रोबोटिक सर्जरी
आरती अकेली नहीं थी, जिसने इस तकनीक से राहत पाई। एक 60 वर्षीय महिला, जिसे गर्भाशय कैंसर था, उसे भी अन्य अस्पतालों में ओपन सर्जरी की सलाह दी गई थी। लेकिन फोर्टिस अस्पताल में रोबोटिक सर्जरी के जरिए उसका गर्भाशय, ट्यूब, अंडाशय और लिम्फ नोड्स निकाले गए, और सिर्फ 10 घंटे में वह घर लौट गई।
कैसे बदल रही है रोबोटिक सर्जरी मरीजों की जिंदगी?
डॉ. मिश्रा, जो अब तक 800 से अधिक रोबोटिक सर्जरी कर चुकी हैं, बताती हैं कि रोबोटिक सर्जरी शरीर के उन हिस्सों तक भी पहुंच सकती है, जहां इंसानी हाथ मुश्किल से काम कर सकते हैं। हाई-डेफिनिशन 3D कैमरा और रोबोटिक आर्म्स की सटीकता इसे बेहद सुरक्षित और कारगर बनाती है।
इस तकनीक के बड़े फायदे
✅ कोई बड़ा चीरा नहीं, न्यूनतम घाव
✅ खून की कमी या संक्रमण का खतरा बेहद कम
✅ मरीज सर्जरी के कुछ घंटों में घर लौट सकता है
✅ तेज रिकवरी, कम दर्द और कम खर्च