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आईपीएसकॉन 2025 का समापन : दवा सुरक्षा के सबक और एआई शोध की दिखाई नयी दिशा

पंजाब विश्वविद्यालय के यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्यूटिकल साइंसेज में भारतीय फार्माकोलॉजिकल सोसायटी का 55वां अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन आईपीएसकॉन 2025 शनिवार को उत्साहपूर्ण माहौल में संपन्न हुआ। तीन दिवसीय इस आयोजन में दवा खोज, नैनोटेक्नोलॉजी, एपीआई और केएसएम में आत्मनिर्भरता, दवा सुरक्षा...
पंजाब विश्वविद्यालय में आयोजित आईपीएसकॉन 2025 में शामिल विशेषज्ञ।
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पंजाब विश्वविद्यालय के यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्यूटिकल साइंसेज में भारतीय फार्माकोलॉजिकल सोसायटी का 55वां अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन आईपीएसकॉन 2025 शनिवार को उत्साहपूर्ण माहौल में संपन्न हुआ।

तीन दिवसीय इस आयोजन में दवा खोज, नैनोटेक्नोलॉजी, एपीआई और केएसएम में आत्मनिर्भरता, दवा सुरक्षा और विकसित भारत 2047 जैसे प्रमुख विषयों पर देश विदेश के विशेषज्ञों ने गहन चर्चा की। युवा शोधकर्ताओं की बड़ी भागीदारी ने सम्मेलन को और अधिक उपयोगी व जीवंत बना दिया।

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समापन दिवस पर दो वास्तविक क्लिनिकल केस चर्चा के मुख्य केंद्र रहे। डॉ निलीमा क्षीरसागर ने हर्बल उत्पादों के जोखिम बताते हुए एक इंजीनियरिंग छात्र के मामले का उल्लेख किया, जिसमें आयुर्वेदिक दर्दनाशक लेने से आंतरिक रक्तस्राव हुआ और दवा में छिपे पांच सौ मिलीग्राम एस्पिरिन का पता चला।

दूसरे मामले में मिर्गी से पीड़ित एक छात्र में फेनाइटोइन की प्रभावशीलता तब खत्म हो गई जब वह स्मृति वर्धक बताए जा रहे कथित आयुर्वेदिक उत्पाद का सेवन कर रहा था। उन्होंने स्पष्ट कहा कि डॉक्टर की सलाह के बिना किसी भी उत्पाद का सेवन गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है।

युवा शोध और नई टेक्नोलॉजी पर सत्रों में सीएसआईआर की मुख्य वैज्ञानिक डॉ ज्योति यादव ने कौशल विकास की जरूरत पर बल दिया। पीजीआईएमईआर के प्रो एमेरिटस डॉ पी एल शर्मा ने कहा कि ‘अच्छा विज्ञान मजबूत सोच पर आधारित होता है’।

सीडीआरआई, डॉ एस.सी. लाहिड़ी, डॉ एस.बी. पांडेय और डॉ ललिता कर्देश्वरन के ओरेशन विशेष आकर्षण रहे। डॉ शिव प्रकाश रंथम ने एआई–एमएल आधारित ड्रग डिस्कवरी प्लेटफॉर्म एपिक्यूल का लाइव प्रदर्शन किया और ज़ेब्राफिश को पशु परीक्षण का उपयोगी विकल्प बताया। लास वेगास से आए डॉ बुद्धदेब डॉन ने वैश्विक सेल थेरेपी की प्रगति पर अपने विचार साझा किए।

विजेताओं को किया सम्मानित

फार्माकोलॉजी क्विज़ में विजेताओं को बारह हजार, नौ हजार और छह हजार रुपये प्रदान किए गए, जबकि युवा शोधकर्ताओं को पच्चीस से अधिक श्रेणियों में सम्मान दिए गए। समापन पर यूआईपीएस चेयरपर्सन प्रो अनिल कुमार ने कहा कि यह सम्मेलन सुरक्षित, नवाचारी और आत्मनिर्भर भारत की सामूहिक प्रतिज्ञा का प्रतीक है।

 

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