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ISHICON 2025 में नवाचारों की गूंज : चंडीगढ़ में शुरू हुआ 3 दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन, देश–विदेश के वैज्ञानिक जुटे

प्रो. बिमन साइकिया बोले-‘अब समय है शोध को मरीजों तक पहुंचाने का’

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पीजीआईएमईआर में ISHICON 2025 का आगाज नवाचार, शोध और वैज्ञानिक सहयोग की ऊर्जा के साथ हुआ। इंडियन सोसायटी फॉर हिस्टोकम्पैटिबिलिटी एंड इम्यूनोजेनेटिक्स (ISHI) की यह 8वीं राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस 11 से 13 दिसंबर तक आयोजित हो रही है। सम्मेलन की थीम- ‘Innovation Driven Transplant Immunology: Sharpening the Cutting Edge’ ने पहले ही दिन प्रतिभागियों में उत्साह भर दिया।

‘यह सिर्फ कॉन्फ्रेंस नहीं, भारत की नई वैज्ञानिक दृष्टि है’- प्रो. बिमन साइकिया

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उद्घाटन सत्र में कांफ्रेंस चेयर प्रो. (डॉ.) बिमन साइकिया ने स्वागत भाषण में कहा कि ट्रांसप्लांट साइंस के क्षेत्र में भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है। अब नवाचारों को मरीजों के हित में बदलना सबसे बड़ी प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि “ISHICON 2025 सिर्फ विचार-विमर्श का मंच नहीं, बल्कि ट्रांसप्लांट इम्यूनोलॉजी के भविष्य को आकार देने का सामूहिक संकल्प है। आने वाला दशक नवाचार, सहयोग और क्लिनिकल अनुप्रयोग की दिशा तय करेगा।”

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इसके बाद डॉ. उमा कांगू ने सचिवीय रिपोर्ट प्रस्तुत की, ISHI अध्यक्ष प्रो. नरिंदर के. मेहरा ने अध्यक्षीय संबोधन दिया और कांफ्रेंस सचिव प्रो. रितु अग्रवाल ने धन्यवाद प्रस्ताव रखा। आयोजन समिति और वैज्ञानिक समिति के प्रयासों को सराहा गया।

प्रो. नरिंदर मेहरा का कीनोट: भारत में ट्रांसप्लांट इम्यूनोलॉजी का सफर

मुख्य सत्र में प्रो. नरिंदर के. मेहरा का कीनोट लेक्चर ‘Evolution of Transplant Immunology in India’ ने सम्मेलन के वैज्ञानिक विमर्श की दिशा तय की। अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों ने दुनिया की सबसे उन्नत तकनीक पर डाला प्रकाश प्रतिष्ठित प्रो. अलेहान्द्रो मैड्रिगल (यूके) ने ‘प्रो. नरिंदर मेहरा ऑरेशन’ प्रस्तुत करते हुए स्टेम सेल ट्रांसप्लांटेशन में उन्नत डोनर चयन रणनीतियों पर बात की।

इसके अलावा प्रमुख विशेषज्ञ- एरिक स्पियरिंग्स (नीदरलैंड्स), रॉब लिव्स्की (कनाडा), राजा राजलिंगम (अमेरिका) ने भी अपने क्षेत्र में नवीनतम शोध और तकनीक साझा की। NOTTO प्रमुख ने कहा कि 'राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत तंत्र की जरूरत' NOTTO निदेशक डॉ. अनिल कुमार ने विशेष व्याख्यान में अंग और ऊतक प्रत्यारोपण के लिए एक समन्वित राष्ट्रीय ढांचे के महत्व पर जोर दिया।

युवा वैज्ञानिकों की ऊर्जा भी छाई

पहले दिन युवा शोधकर्ताओं ने भी ओरल और पोस्टर प्रस्तुति में अपने नवाचारी कार्य प्रस्तुत किए, जिन्हें विशेषज्ञों ने सराहा। 110 से अधिक प्रतिभागियों के साथ पहले दिन की सफल शुरुआत करीब 110 प्रतिनिधियों की उपस्थिति में सम्मेलन का पहला दिन उत्साहपूर्ण रहा। केस डिस्कशन, इंटरैक्टिव सत्र, अत्याधुनिक शोध और विशेषज्ञ संवाद ने कार्यक्रम को गहराई दी। अगले दो दिनों में भी कई महत्वपूर्ण और नवीन वैज्ञानिक सत्र निर्धारित हैं, जिनसे ट्रांसप्लांट इम्यूनोलॉजी के भविष्य की दिशा तय होने की उम्मीद है।

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