भारत की महासागरीय शक्ति से बदला विश्व संतुलन : जनरल अनिल चौहान
भारत अब केवल थल और वायु शक्ति तक सीमित नहीं, बल्कि एक उभरती समुद्री महाशक्ति के रूप में विश्व मानचित्र पर अपना प्रभाव स्थापित कर रहा है। यही संदेश चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने रविवार को चंडीगढ़ में संपन्न हुए 9वें मिलिट्री लिटरेचर फेस्टिवल के समापन समारोह में दिया। उन्होंने कहा कि भारत की भौगोलिक स्थिति उसे ऐसी सामरिक बढ़त देती है, जिससे वह न केवल अपनी सीमाओं की सुरक्षा कर सकता है, बल्कि हिंद महासागर के जरिये दुनिया की आर्थिक और रणनीतिक दिशा को भी प्रभावित कर सकता है।
जनरल चौहान ने कहा कि भारत की भौगोलिक सीमाएं पश्चिम में पाकिस्तान और उत्तर में चीन से घिरी हैं, जिससे विस्तार की गुंजाइश सीमित है, पर हिंद महासागर के जरिये भारत अपनी शक्ति का प्रभाव वैश्विक स्तर पर स्थापित कर सकता है।
उन्होंने कहा कि दुनिया के अनेक देश आज हिंद महासागर के रास्तों का उपयोग करते हैं, जो भारत के बहुत निकट हैं। इसलिए भारत चाहे तो इन समुद्री मार्गों के जरिए कई देशों की सामरिक और आर्थिक शक्ति को प्रभावित कर सकता है। सीडीएस ने कहा कि भारत के लिए यह समुद्री बढ़त किसी आशीर्वाद से कम नहीं। इससे भारत न केवल अपनी सीमाओं की रक्षा में बल्कि वैश्विक शांति और व्यापारिक सुरक्षा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
उन्होंने बताया कि आज की लड़ाइयां सिर्फ जमीन और पानी तक सीमित नहीं रहीं, बल्कि अब वे अंतरिक्ष और तकनीक के स्तर पर लड़ी जा रही हैं, जिनमें भारत तेजी से आत्मनिर्भर बन रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि वर्ष 1965 का युद्ध भारत के लिए एक बड़ा अनुभव रहा, जिसने हमारी सामरिक नीतियों को मजबूत दिशा दी।
फेस्टिवल के समापन समारोह में लेफ्टिनेंट जनरल अजय चांदपुरिया और मिलिट्री लिटरेचर फेस्टिवल एसोसिएशन के चेयरमैन लेफ्टिनेंट जनरल टीएस शेरगिल (सेवानिवृत्त) ने वर्ष 1965 के युद्ध में भाग लेने वाले पूर्व सैनिकों को सम्मानित किया। इस अवसर पर उपस्थित युवाओं ने भारतीय सेना के भर्ती प्रक्रिया और आधुनिक युद्धक तकनीकों के बारे में जानकारी प्राप्त की। फेस्टिवल में लगी भारतीय सेना की हथियार और जैमर सिस्टम प्रदर्शनी लोगों के आकर्षण का केंद्र रही। प्रदर्शनी में भारत द्वारा स्वदेशी तकनीक से बनाए गए हथियारों ने देश की आत्मनिर्भरता का प्रदर्शन किया।
राष्ट्र निर्माण में युवाओं की भूमिका अहम
समापन अवसर पर जनरल चौहान ने युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि राष्ट्र निर्माण में युवाओं की भूमिका सबसे अहम है। उन्होंने कहा, ‘भारत का भविष्य युवाओं के हाथ में है। उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से सशक्त बनना होगा ताकि वे देश को विकास की राह पर आगे ले जा सकें।’ उन्होंने युवाओं से भारतीय सेना में अधिक से अधिक संख्या में शामिल होने की अपील की और कहा कि अनुशासन, देशभक्ति और निष्ठा ही एक मज़बूत भारत की पहचान हैं।
