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अमृत फार्मेंसी में फार्मासिस्ट की जगह कैशियर ने बांटी दवा

पीजीआई की रिपोर्ट में चौंकाने वाले तथ्य
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पीजीआई की अमृत फार्मेसी से गलत दवा देने और अधिक राशि वसूलने की शिकायत पर गठित समिति ने अपनी जांच में कई गंभीर खामियों की पुष्टि की है। रिपोर्ट के मुताबिक, दवा वितरण की प्रक्रिया में नियमों का स्पष्ट उल्लंघन हुआ और ज़िम्मेदारी तय करने की सिफारिश की गई है।

शिकायतकर्ता हेमंत सिंगला ने आरोप लगाया था कि 18 फरवरी, 2024 को उनके ड्राइवर को डॉक्टर की पर्ची पर गलत दवा दी गई। समिति में प्रो. अरुण अग्रवाल (चेयरमैन), डॉ. पंकज अरोड़ा, डॉ. राजीव चौहान और वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी शामिल थे।

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जांच में सामने आया कि जिस समय ड्राइवर दवा लेने पहुंचा, उस वक्त फार्मासिस्ट हरितिका वॉशरूम में थीं और फार्मेसी काउंटर पर मौजूद कैशियर राहुल ने खुद ही दवा सौंप दी। उसने डॉक्टर की पर्ची देखे बिना और बिना कोई दस्तावेज मांगे दवा दी। राहुल ने यह गलती स्वीकार भी की है।

डॉक्टर की पर्ची पर ‘ड्रोटिन’ लिखा था, जबकि कैश मेमो में ‘डीटीओइन’ दर्ज किया गया। हालांकि बाद में दी गई दवा की शीशी और बिल में मेल पाया गया, लेकिन शुरुआत में हुई चूक को समिति ने गंभीर लापरवाही करार दिया। सीसीटीवी फुटेज और स्टाफ के बयानों के आधार पर रिपोर्ट में कहा गया कि घटना के समय फार्मेसी में कोई भीड़ नहीं थी और न ही उस वक्त वही दवा किसी और को दी गई थी। इसके बावजूद फार्मासिस्ट की गैरमौजूदगी में दवा देना नियमों का स्पष्ट उल्लंघन है। समिति ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से कहा है कि दवा वितरण की जिम्मेदारी सिर्फ फार्मासिस्ट की होती है। कैशियर द्वारा दवा देना नियम के विरुद्ध है और इसके लिए संबंधित स्टाफ के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई की जानी चाहिए।

शिकायतकर्ता द्वारा ऑनलाइन कीमतों से की गई तुलना को समिति ने अव्यावहारिक बताया है। रिपोर्ट में कहा गया कि अस्पताल की फार्मेसी में मूल्य निर्धारण अलग मानकों के आधार पर होता है।

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