चंडीगढ़, 9 जून (ट्रिन्यू)
सोसाइटी फॉर प्रमोशन ऑफ़ साइंस एंड टेक्नोलॉजी इन इंडिया, कुरुक्षेत्र एवं नेशनल अकादमी ऑफ़ साइंसेज इंडिया की चंडीगढ़ श्रृंखला के संयुक्त तत्वावधान एवं राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विज्ञान परिषद् के सौजन्य से विश्व सागर दिवस पर व्याख्यान के लिए जियोलाजिकल सोसाइटी ऑफ़ इंडिया के अध्यक्ष एवं एटॉमिक एनर्जी रेगुलेटरी बोर्ड के सदस्य प्रो. हर्ष गुप्ता को आमंत्रित किया गया।
सुनामी के बारे में बताते हुए प्रो. गुप्ता ने कहा कि समंदर के तल पर प्लेट्स के लगातार खिसकने से भारी मात्रा में ऊर्जा का भंडार बन जाता है जिसके कारण भूकंप आते हैं और वही समुद्र में सुनामी पैदा करते हैं। जैसे-जैसे यह तट की ओर बढ़ता है, सुनामी की तरंगें और वेग कम हो जाता है। प्रो. गुप्ता ने बताया कि गलत संकेतकों के कारण सामान्य जीवन में अत्यधिक असुविधा और व्यवधानों को देखते हुए विशेष रूप से हिंद महासागर में तटीय क्षेत्रों में उच्च जनसंख्या घनत्व और गहन संचालन को देखते हुए और पूर्वानुमान में लगातार सुधार करने के लिए सुनामी चेतावनी जारी करने के विज्ञान में सुधार करना अधिक महत्वपूर्ण है। भारत ने वर्ष 2007 में अत्याधुनिक सुनामी और तूफान की चेतावनी क्षमता स्थापित करने के लिए महत्वाकांक्षी परियोजना शुरू की थी। इस सिस्टम ने पिछले 14 वर्षों में बहुत कुशलता से काम किया है। व्याख्यान का समन्वयन पंजाब विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. अरुण ग्रोवर, सोसाइटी के अध्यक्ष आईएएस (सेवानिवृत्त) धर्मवीर, जीजेयू हिसार के पर्यावरण विभाग प्रोफेसर आर भास्कर, सोसाइटी की महासचिव प्रो. केया धर्मवीर एवं संयुक्त सचिव श्रीमती रजनी भल्ला ने किया।