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ईमानदारी ही चिकित्सा का आधार, मरीज को ‘केस’ नहीं, जीवन के रूप में देखें : प्रो. असीम घोष

राष्ट्रीय चिकित्सा विज्ञान अकादमी (भारत) का 65वां दीक्षांत समारोह

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राष्ट्रीय चिकित्सा विज्ञान अकादमी (भारत) का 65वां दीक्षांत समारोह शनिवार को पीजीआई डीगढ़ में गरिमामय वातावरण में संपन्न हुआ। इस अवसर पर हरियाणा के राज्यपाल प्रो. असीम कुमार घोष ने कहा कि ‘ईमानदारी वह नैतिक दिशा-सूचक है जो चिकित्सा विज्ञान का मार्गदर्शन करती है।’ उन्होंने चिकित्सकों से कहा कि वे मरीजों को ‘केस’ नहीं बल्कि गरिमा, आशा और विश्वास से भरे जीवन के रूप में देखें।

राज्यपाल ने कहा कि आज तकनीक और व्यावसायिक दबावों के युग में चिकित्सक की ईमानदारी ही उसका सबसे बड़ा मार्गदर्शक है। उन्होंने कहा, “चिकित्सा केवल शरीर का उपचार नहीं, आत्मा से संवाद है। हर निदान, हर प्रिस्क्रिप्शन और हर निर्णय में करुणा और विवेक झलकना चाहिए। सफेद कोट विशेषाधिकार का नहीं, बल्कि सेवा का प्रतीक है; इसे विनम्रता से धारण करें और हर धड़कन जो आप ठीक करते हैं, वह आपको मानवता के प्रति आपके दायित्व की याद दिलाए।”

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उन्होंने राष्ट्रीय चिकित्सा विज्ञान अकादमी को भारत के चिकित्सा समुदाय का ‘नैतिक और बौद्धिक विवेक’ बताते हुए कहा कि यह संस्था सेवा, सहानुभूति और उत्कृष्टता की विरासत को सशक्त बना रही है। उन्होंने भावी चिकित्सकों को संदेश दिया कि “विज्ञान की प्रगति तभी सार्थक है जब उसमें नैतिकता और करुणा की जड़ें हों।”

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AI का सृजनात्मक उपयोग हो, भारत बने स्वास्थ्य नवाचार का नेतृत्वकर्ता : डॉ. पॉल

इस अवसर पर नीति आयोग के सदस्य डॉ. विनोद कुमार पॉल ने कहा कि “भारत को कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) का उपभोक्ता नहीं, बल्कि सृजक बनना चाहिए — ऐसे समाधान विकसित करने चाहिए जो नैतिक, स्वदेशी और मानवता-सेवी हों।” उन्होंने कहा कि एनएएमएस को देश की चिकित्सा नीति और नवाचारों का अग्रणी थिंक टैंक बनना चाहिए।

डॉ. पॉल ने कहा कि “विकसित भारत 2047 की यात्रा स्वस्थ भारत से ही शुरू होती है। स्वास्थ्य ही विकास का असली इंजन है जो मानव पूंजी, उत्पादकता और स्थिर प्रगति को आकार देता है।” उन्होंने घोषणा की कि आगामी तीन वर्षों में देशभर के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में 50 किडनी और 20 लिवर प्रत्यारोपण दल तैयार किए जाएंगे ताकि हर नागरिक को जीवनरक्षक प्रत्यारोपण की सुविधा मिल सके।

उन्होंने फैमिली मेडिसिन की अहमियत पर जोर देते हुए कहा कि “विशेषज्ञता के बढ़ते दौर में सामान्य चिकित्सा को नहीं भूलना चाहिए क्योंकि यही बचपन से वृद्धावस्था तक सतत देखभाल सुनिश्चित करती है।”

एनएएमएस बना चिकित्सा उत्कृष्टता का प्रहरी: डॉ. बेहरा

अकादमी के अध्यक्ष डॉ. दिगंबर बेहरा ने कहा कि एनएएमएस 1961 से चिकित्सा शिक्षा, अनुसंधान और नीति के क्षेत्र में उत्कृष्टता का प्रतीक रहा है। उन्होंने बताया कि अकादमी के 1,100 से अधिक फेलो में दो भारत रत्न, 19 पद्म भूषण और 53 पद्मश्री सम्मानित चिकित्सक शामिल हैं। उन्होंने कहा कि “एनएएमएस भारतीय चिकित्सा जगत का नैतिक प्रहरी है, जो ‘एनाल्स ऑफ द नेशनल एकेडमी’ और ‘नेविगेट’ जैसी पहलों से युवा नेतृत्व तैयार कर रहा है।”

पीजीआई कर रहा समाज को करुणा और दक्षता से सेवा: प्रो. विवेक लाल

पीजीआईएमईआर के निदेशक प्रो. विवेक लाल ने कहा कि “संस्थान में निवेश किया गया हर रुपया समाज को पचास गुना मूल्य लौटाता है,  यह हमारी करुणा, दक्षता और समर्पण का प्रमाण है।” उन्होंने बताया कि संस्थान में 70% से अधिक मरीज आयुष्मान भारत योजना के तहत उपचार प्राप्त करते हैं और पात्र मरीजों के लिए किडनी, हार्ट और नी ट्रांसप्लांट पूरी तरह निःशुल्क किए जाते हैं।

उन्होंने कहा, “पीजीआईएमईआर न केवल चिकित्सा उत्कृष्टता का केंद्र है, बल्कि समान स्वास्थ्य अधिकार के सिद्धांत पर आधारित एक सामाजिक आंदोलन भी है।”

फेलोशिप और सम्मान से सजा समारोह

दीक्षांत समारोह में 45 विशिष्ट शिक्षाविदों को फेलोशिप, 100 प्रतिष्ठित पेशेवरों को सदस्यता और 14 नवोदित विशेषज्ञों को एसोसिएट फेलोशिप प्रदान की गई। इसके अलावा तीन महिला वैज्ञानिकों और सात प्रोफेसर एमेरिटस को उनके आजीवन योगदान और अनुसंधान उपलब्धियों के लिए सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम की शुरुआत भव्य शैक्षणिक जुलूस से हुई, जिसकी अगुवाई एनएएमएस के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ पदाधिकारियों ने की। इस अवसर पर नए फेलो और सदस्यों को स्क्रॉल प्रदान किए गए और उन्होंने चिकित्सा सेवा की शपथ दोहराई।

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