चंडीगढ़, 15 जनवरी (ट्रिन्यू)
जीएमसीएच-32 ने हृदय रोग निदान के क्षेत्र में एक मील पत्थर स्थापित करते हुए हाल ही में इम्पेला डिवाइस से सफलतापूर्वक हाईरिस्क एंजियोप्लास्टी की है। कार्डियोलोजी के विभागाध्यक्ष डा. एस रेड्डी ने बताया कि संस्थान के प्रोफेसर डा. जीतराम कश्यप के नेतृत्व में एक टीम ने इस जटिल और उच्च जोखिम वाली प्रक्रिया को सम्पन्न किया। एंजियोप्लास्टी 67 वर्षीय एक व्यक्ति की हुई, जो उच्च रक्तचाप और मधुमेह से पीड़ित थे और पिछले एक महीने से उन्हें बार-बार हार्ट फेल के एपिसोड हो रहे थे। उनको कैल्सीफिक लेफ्ट मेन, ट्रिपल वेसल डिजीज के साथ गंभीर लेफ्ट वेंट्रिकुलर डिसफंक्शन था। पहले तो उन्हें बायपास सर्जरी की सलाह दी गई, उनके मना कर देने पर प्रोफेसर डा. जीतराम कश्यप ने इम्पेला डिवाइस वाली इस एंजियोप्लास्टी का विकल्प उनके समक्ष रखा।
दिल्ली के कुछ केंद्रों को छोड़, जीएमसीएच-32, चंडीगढ़, इस नई तकनीक (इम्पेला) का उपयोग करने वाला क्षेत्र का पहला संस्थान बन गया है। डा. कश्यप की टीम में डा. रघु, डा. लिपि उप्पल, डा. मुनीश देव व डा. सिद्धार्थ भी थे। संस्थान की निदेशक डा. जसबीर कौर ने बताया कि इम्पेला एकमात्र गैर-सर्जिकल हृदय पंप तकनीक है जिसे यूएसएफडीए द्वारा उच्च जोखिम वाले रोगियों के लिए एक सुरक्षित और प्रभावी समाधान बताया गया है।