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हिंदी-विभाग ने किया राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन

पंजाब विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग द्वारा केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा के सहयोग से ‘भारतीय ज्ञान परम्परा का हिंदी साहित्य पर प्रभाव’ विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। यह आयोजन गोल्डन जुबली हॉल में किया गया। उद्घाटन...
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पंजाब विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग द्वारा केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा के सहयोग से ‘भारतीय ज्ञान परम्परा का हिंदी साहित्य पर प्रभाव’ विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। यह आयोजन गोल्डन जुबली हॉल में किया गया। उद्घाटन समारोह में संगोष्ठी संयोजक एवं हिंदी-विभाग के अध्यक्ष प्रो. अशोक कुमार और प्रो. बैजनाथ प्रसाद, प्रो. गुरमीत सिंह एवं डॉ. विनोद कुमार ने अतिथिगण का स्वागत किया। उद्घाटन भाषण में कार्यक्रम की मुख्य संरक्षक कुलपति प्रो. रेणु विग ने कहा कि साहित्य ज्ञान का एक प्रभावी माध्यम है। बीज वक्ता दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. राम नारायण पटेल ने मानवतावाद को भारतीय ज्ञान परम्परा का उद्देश्य बताते हुए ऋषियों, संत कबीर से लेकर भारतेंदु हरिश्चन्द्र तथा हजारी प्रसाद द्विवेदी जैसे विद्वानों की चर्चा की। मुख्य अतिथि देवेंद्र सिंह (अध्यक्ष, सप्तसिंधु बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर स्टडी सर्कल, चंडीगढ़) ने ज्ञान हेतु निष्पक्ष साहित्य की बात कही। उद्घाटन समारोह के अध्यक्ष एचपी यूनिवर्सिटी शिमला के डॉ. दुन्नी चंद ने कहा कि वर्तमान समय में भारतीय ज्ञान परम्परा को संजोए रखने की आवश्यकता है। अंत में प्रो. अशोक कुमार ने उपस्थित सभी को धन्यवाद ज्ञापित किया। इसके पश्चात तकनीकी सत्र का आयोजन हुआ। इस सत्र में विशिष्ट वक्ता के रूप में सेंट्रल यूनिवर्सिटी बठिंडा के डॉ. समीर महाजन,एसडी कालेज अंबाला कैंट की डॉ. विजय शर्मा, पीजीजीसीजी-11 के डॉ. मोहन लाल, अबोहर की डॉ. निर्मला निठारवाल, रतिया के डॉ. अनिल कुमा ने शिरकत की। सत्र के अध्यक्ष एचपी यूनिवर्सिटी शिमला के डॉ. भवानी सिंह ने लोक में निहित ज्ञान को भारतीय ज्ञान परम्परा का एक अभिन्न अंग बताते हुए कहा कि आज उसके अध्ययन की विशेष आवश्यकता है। सत्र के अंत में मंचासीन अतिथि गण का स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मान किया गया।

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