वो चला गया, मगर दो दिलों को धड़कने की दे गया वजह...
कभी-कभी मौत भी जिंदगी की सबसे बड़ी उम्मीद बन जाती है। यही हुआ पीजीआईएमईआर चंडीगढ़ में, जहां हादसे के बाद अचानक कार्डियक अरेस्ट से हुई एक युवक की मौत ने दो लोगों को फिर से मुस्कुराने का मौका दे दिया। डोनेशन आफ्टर सर्कुलेटरी डेथ (डीसीडी) के इस महत्वपूर्ण केस ने न सिर्फ ऑर्गन डोनेशन का रास्ता खोला बल्कि मानवता की एक नई मिसाल भी पेश की।
21 नवंबर को रोड एक्सीडेंट में गंभीर रूप से घायल युवक को पीजीआईएमईआर लाया गया था। डॉक्टरों के तमाम प्रयासों के बावजूद उनकी हार्ट बीट बहाल नहीं हो सकी। नेशनल डीसीडी प्रोटोकॉल के अनुसार उनकी मृत्यु सर्कुलेटरी क्राइटेरिया के आधार पर घोषित की गई। ऐसे कठिन समय में भी परिवार ने साहस और समझदारी दिखाते हुए ऑर्गन डोनेशन के लिए सहमति दी। मूल्यांकन के बाद दोनों किडनी को उपयुक्त पाया गया और उनका पीजीआईएमईआर में सफलतापूर्वक प्रत्यारोपण
किया गया। प्रो. विपिन कौशल ने बताया कि पीजीआईएमईआर में अब तक 20 डीसीडी डोनेशन हो चुके हैं और यह इस वर्ष का तीसरा केस है। जब ब्रेन स्टेम डेथ क्राइटेरिया लागू नहीं हो पाता, तब डीसीडी विशेष रूप से अहम हो जाता है।
उन्होंने एसआई विजय कुमार और पीएस कत्याल, जिला कैथल की सक्रिय सहयोग के लिए भी आभार व्यक्त किया।
परिवार की भावनात्मक प्रतिक्रिया : ‘सब कुछ पलों में खत्म हो गया, लेकिन यह जानकर हिम्मत मिलती है कि वह जाते-जाते भी दो परिवारों की मदद कर गया। यही उसके लिए सबसे बड़ा सम्मान है।’
कठिन समय में लिया गया प्रेरणादायक निर्णय : प्रो. लाल
पीजीआईएमईआर के डायरेक्टर प्रो. विवेक लाल ने कहा कि परिवार ने अकल्पनीय दर्द के बीच भी जीवन बचाने वाला निर्णय लिया। यह न सिर्फ दो मरीजों के लिए नई उम्मीद बना है बल्कि भारत में डीसीडी को एक महत्वपूर्ण पथ के रूप में आगे बढ़ाता है।
