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हनुमान का भाव है अपने मान का, अहंकार का हनन : साध्वी दिवेशा भारती

पंचकूला, 22 सितंबर (हप्र) दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा गुग्गा माड़ी, गांव रामगढ़, पंचकूला में आयोजित पांच दिवसीय श्रीराम कथा आज संपन्न हो गई। कथा के अंतिम दिन का शुभारंभ गुग्गा माड़ी सेवा दल, गांव रामगढ़ के सदस्यों ने विधिवत...

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रामगढ़ में रविवार को श्रीराम कथा में उमड़े श्रद्धालु। -हप्र
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पंचकूला, 22 सितंबर (हप्र)

दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा गुग्गा माड़ी, गांव रामगढ़, पंचकूला में आयोजित पांच दिवसीय श्रीराम कथा आज संपन्न हो गई। कथा के अंतिम दिन का शुभारंभ गुग्गा माड़ी सेवा दल, गांव रामगढ़ के सदस्यों ने विधिवत पूजन एवं ज्योति प्रज्वलित कर किया।

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कथा में कथा व्यास साध्वी दिवेशा भारती ने सुंदरकांड प्रसंग प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि सुंदरकांड प्रसंग में गोस्वामी तुलसीदास ने भक्त हनुमान की गाथा का वर्णन किया है।

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हनुमान का भाव है अपने मान का, अहंकार का हनन करना। जिनके जीवन में हनुमान जी आते हैं वे उन्हें ईश्वर से मिला देते हैं। सुग्रीव, विभीषण और सीता माता को हनुमान ने ही ईश्वर से मिलाया। भक्तों के दु:ख हरने वाले संकट मोचन वीर हनुमान एक जीवात्मा और परमात्मा के मध्य संत की भूमिका निभाते हैं।

इस प्रसंग में हनुमान की एक यात्रा का वर्णन आता है जिसमें उन्होंने मां सीता की खोज की। इस यात्रा के दौरान उन्होंने अनेक बाधाओं का सामना किया लेकिन प्रभु की कृपा से वे प्रत्येक बाधा को पार कर जाते हैं।

मैनाक पर्वत नामक बाधा ने उन्हें विश्राम करने के लिए कहा लेकिन हनुमान जी ने कहा मैं प्रभु श्रीराम का कार्य किए बिना विश्राम नहीं कर सकता। इसी प्रकार हमें भी ईश्वर ने महान कार्य करने के लिए इस धरा पर भेजा है और वह है प्रभु की भक्ति। जब तक हमारा यह लक्ष्य पूर्ण न हो, हमें भी विश्राम भाव आलस्य का त्याग करना चाहिए।

हमारा यह लक्ष्य तभी पूर्ण होगा जब हमारे जीवन में वीर हनुमान जैसे संत आएंगे। तब हम भी विभीषण की तरह प्रभु राम के वास्तविक स्वरूप का भीतर दर्शन कर पाएंगे। साध्वी बहनों के माध्यम से सुमधुर भजनों और चौपाइयों का भी गायन किया गया।

कार्यक्रम के अंत में गांव रामगढ़ के नंबरदार बलजिंदर सिंह एवं पंजाब बिजली विभाग में जेई साहिल सैनी के परिवारों द्वारा सभी संत समाज को सन्मानित किया गया। कथा का समापन प्रभु की पावन आरती से हुआ। अंत में आए हुए सभी प्रभु भक्तों में भंडारे का वितरण किया गया।

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