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नग्गल के पास खुले में बना रहे थे घेवर, हेल्थ विभाग की टीम ने भरे सैंपल

सावन में घेवर की मांग चरम पर है, लेकिन पंचकूला-यमुनानगर नेशनल हाईवे पर मिठास के नाम पर लोगों की सेहत से खिलवाड़ हो रहा है। गांव नग्गल के पास तिरपाल के नीचे खुले में घेवर बनाने के ठिकाने पर हेल्थ...
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी बरवाला के नग्गल के पास खुले में घेवर तैयार करने वालों के सैंपल भरते हुए। -निस
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सावन में घेवर की मांग चरम पर है, लेकिन पंचकूला-यमुनानगर नेशनल हाईवे पर मिठास के नाम पर लोगों की सेहत से खिलवाड़ हो रहा है। गांव नग्गल के पास तिरपाल के नीचे खुले में घेवर बनाने के ठिकाने पर हेल्थ डिपार्टमेंट की टीम ने छापा मारकर सैंपल भरे। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या प्रशासन की कार्रवाई सिर्फ यहीं तक सीमित रह जाएगी? स्थानीय लोगों का आरोप है कि हाईवे के किनारे कई जगहों पर बिना लाइसेंस और स्वच्छता के घेवर जैसी मिठाइयां खुले में बनाई और बेची जा रही हैं। इनमें साफ-सफाई, शुद्ध सामग्री और फूड सेफ्टी के नियमों का दूर-दूर तक पालन नहीं होता। न कोई दस्तावेज, न रजिस्ट्रेशन, फिर भी ये कारोबार बेरोक-टोक चल रहे हैं।

टोल प्लाज़ा से लेकर जलौली, नग्गल और आस-पास के कई ग्रामीण इलाकों में ऐसे खाद्य उत्पाद खुलेआम बिक रहे हैं। लेकिन न तो फूड सेफ्टी अफसरों की नियमित विजिट होती है, न कोई पुख़्ता सिस्टम दिखाई देता है। यह स्थिति सवाल खड़ा करती है कि क्या स्वास्थ्य विभाग सिर्फ सैंपल भरने तक ही अपनी ज़िम्मेदारी निभा रहा है?

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लोगों की मांग है कि सभी हॉटस्पॉट एरिया की पहचान कर नियमित छापेमारी की जाए। फूड क्वालिटी टेस्टिंग की मोबाइल यूनिट हाईवे पर तैनात हो और हर विक्रेता का लाइसेंस अनिवार्य हो। वरना यह मौसमी मिठास एक गंभीर स्वास्थ्य संकट का कारण बन सकती है। एक जगह सैंपल भर देना काफी नहीं है। जब तक पूरे सिस्टम की जांच नहीं होती और नियमित कार्रवाई नहीं की जाती, तब तक ऐसे मिलावटी उत्पाद लोगों की ज़िंदगी को खतरे में डालते रहेंगे।

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