चंडीगढ़, 4 फरवरी (ट्रिन्यू)
महात्मा गांधी सत्य में विश्वास रखने वाले और एक भारत को मानने वाले थे जो देश विभाजन के आइडिया के खिलाफ लड़े। गांधी जी के मुताबिक एक राष्ट्र के रूप में भारत का मतलब मुस्लिमों और हिंदुओं के अलग देश बनाना नहीं था। वे भारत की एकता में भरोसा करते थे। इसीलिये उन्होंने मुहम्मद अली जिन्ना को देश के बंटवारा न करने की बार-बार अपील की। ये बात इंडिया फाउंडेशन के बोर्ड आफ गवर्नर्स के सदस्य राम माधव ने बतौर मुख्य अतिथि आॅनलाइन इंटरनेशनल कान्फ्रेंस के समापन अवसर पर कही। ’21वीं सदी में महात्मा गांधी की विचारधारा और दृष्टि की प्रासंगिकता’ पर पंजाब विश्वविद्यालय द्वारा एक तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया था।
जर्मनी के गांधी इन्फार्मेशन सेंटर के अध्यक्ष क्रिश्चियन बार्तोल्फ ने सेमिनार की शुरूआत की। नॉटिंघम ट्रेट यूनिवर्सिटी के प्रो वीसी प्रो. सिलियन रेयान ने कहा कि आज के समय में भी गांधी जी विचार और दृष्टि हाशिये पर पड़े लोगों को संघर्ष के लिये सशक्त बनाती है। पीयू के कुलपति प्रो. राजकुमार ने सभी वक्ताओं व अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि महात्मा गांधी की उपलब्धियां मानवता की सेवा के लिये पहले भी प्रासंगिक थी, आज भी हैं, और आगे भी रहेंगी।