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गामा नाइफ : अब ब्रेन की सर्जरी बिना चीरे और बिना दर्द के

क्या ब्रेन की सर्जरी सोचते ही आपके मन में ऑपरेशन थिएटर, बड़े चीरे और लंबे इलाज की तस्वीर आती है? अब ऐसा जरूरी नहीं है। पीजीआई चंडीगढ़ में गामा नाइफ रेडियोसर्जरी नाम की नयी तकनीक से बिना चीरे और बिना...
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डॉ. सुषांत साहू।
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क्या ब्रेन की सर्जरी सोचते ही आपके मन में ऑपरेशन थिएटर, बड़े चीरे और लंबे इलाज की तस्वीर आती है? अब ऐसा जरूरी नहीं है। पीजीआई चंडीगढ़ में गामा नाइफ रेडियोसर्जरी नाम की नयी तकनीक से बिना चीरे और बिना दर्द के मस्तिष्क की कई गंभीर बीमारियों का इलाज किया जा रहा है। पीजीआई की न्यूरोसर्जरी टीम अब तक 2000 से ज्यादा मरीजों का सफल इलाज कर चुकी है। यह बड़ी उपलब्धि है और यही वजह है कि अब देश के कोने-कोने से लोग यहां इलाज के लिए आ रहे हैं। इस सफलता के पीछे विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम है, जिसका नेतृत्व डॉ. सुषांत कुमार साहू ने किया। उनके साथ डॉ. रेनू मदान, डॉ. नरेंद्र कुमार, डॉ. एसएस धंडापानी और डॉ. चिराग आहूजा भी शामिल रहे। यह तरीका ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया जैसी समस्याओं में भी बहुत कारगर है, जिससे बड़ी सर्जरी और उससे जुड़ी जटिलताओं से बचा जा सकता है। उपचार के बाद मरीज उसी दिन अस्पताल से छुट्टी लेकर सामान्य जीवन शुरू कर सकते हैं।

भरोसेमंद और किफायती

डॉ. सुशांत की टीम ने गामा नाइफ से जुड़े कई शोध प्रकाशित किए हैं और नयी तकनीकी पद्धतियां विकसित की हैं। पहले जिन मस्तिष्क ट्यूमर को बेहद कठिन माना जाता था, उनका भी यहां सफलतापूर्वक इलाज किया जा रहा है। यह केंद्र न केवल उत्तर भारत बल्कि केरल, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक जैसे राज्यों से भी मरीजों को आकर्षित करता है। इसका कारण है कम प्रतीक्षा अवधि और सरकार द्वारा तय किया गया किफायती खर्च।

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गामा नाइफ क्या है?

पीजीआई चंडीगढ़ में गामा नाइफ से होता इलाज। -ट्रिब्यून फोटो

गामा नाइफ कोई चाकू नहीं है। यह एक खास मशीन है जो 3डी तकनीक की मदद से दिमाग के बीमार हिस्से पर बेहद सटीक तरीके से तेज़ विकिरण (रेडिएशन) डालती है। यह तकनीक खास तौर पर उन मरीजों के लिए कारगर है जिनके दिमाग में ट्यूमर या अन्य जटिल बीमारियां हैं। यह प्रक्रिया बहुत सरल और सुरक्षित है। इसमें मरीज के सिर पर एक विशेष फ्रेम लगाया जाता है और एमआरआई की मदद से ट्यूमर की सही स्थिति का पता लगाया जाता है। इसके बाद न्यूरोसर्जन, रेडियोलॉजिस्ट और रेडिएशन विशेषज्ञ मिलकर ट्यूमर की पहचान करते हैं और पास की नसों, रक्त वाहिकाओं तथा मस्तिष्क के अन्य महत्वपूर्ण हिस्सों की सुरक्षा करते हैं। फिर तय मात्रा में रेडिएशन बिल्कुल सटीक तरीके से ट्यूमर पर दिया जाता है, जिससे आसपास के मस्तिष्क को नुकसान नहीं पहुंचता।

ये हैं फायदे

चीरा नहीं लगता, खून नहीं निकलता, बड़ी सर्जरी की ज़रूरत नहीं और मरीज उसी दिन घर जा सकता है।

इनमें है कारगर

दिमाग के गहरे हिस्सों में मौजूद ट्यूमर (जैसे मेनिंजियोमा, सीपी एंगल ट्यूमर, कॉर्डोमा), खून की नसों की गड़बड़ी (एवीएम, कैवर्नस साइनस ट्यूमर), ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया जैसी बीमारी, जिसमें चेहरे में बिजली के झटके जैसा दर्द होता है। इन बीमारियों का पारंपरिक इलाज कठिन और जोखिम भरा होता है, लेकिन गामा नाइफ से इन्हें सुरक्षित तरीके से ठीक किया जा सकता है।

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