ढोलक से डिजिटल तक बदलते समय के साथ बदली रामलीला
श्रीरामलीला एवं दशहरा कमेटी, मोहाली (फेज-1) द्वारा आयोजित 35 साल पुरानी रामलीला ने समय के साथ कई बदलाव देखे हैं। शुरुआती दिनों में जब कमेटी ने मंचन शुरू किया था, तब साधारण बांस की मचानों पर पर्दा लगाकर किरदार प्रस्तुत किए जाते थे। संगीत केवल ढोलक और मंजीरे तक सीमित था। लेकिन समय बदलने के साथ समिति ने आयोजन को भी आधुनिक रूप दिया और आज यह शहर का सबसे बड़ा और भव्य सांस्कृतिक आयोजन बन चुका है।
समिति अध्यक्ष आशु सूद बताते हैं कि इस साल रामलीला में एलईडी स्क्रीन, डिजिटल साउंड सिस्टम और विशेष लाइटिंग का इस्तेमाल किया जाएगा। दर्शकों के लिए बैठने की आरामदायक व्यवस्था होगी और सुरक्षा हेतु पूरे स्थल पर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। बुजुर्ग दर्शक कहते हैं कि पहले रामलीला देखने के लिए लोग ज़मीन पर बैठते थे और साधारण लाइटों में पात्रों को पहचानना मुश्किल होता था, लेकिन आज तकनीक के सहारे वही मंचन और भी अधिक जीवंत और आकर्षक बन चुका है।
फिर भी, इन सबके बीच एक चीज़ नहीं बदली - आस्था। चाहे ढोलक की थाप हो या डिजिटल साउंड की गूंज, श्रीरामलीला एवं दशहरा कमेटी के मंच पर जब ‘जय श्रीराम’ का उद्घोष होता है, तो पूरा मोहाली भक्ति के माहौल में डूब जाता है। यही इस आयोजन की असली ताक़त है- परंपरा और आधुनिकता का संगम।