स्माल फ्लैट्स योजना के तहत बसाये लोगों के हक में उतरे पूर्व केंद्रीय मंत्री पवन बंसल
मनीमाजरा (चंडीगढ़), 5 नवंबर (हप्र)
शहर के पूर्व सांसद पवन बंसल स्माल फ्लैट्स योजना के तहत आवंटित कालोनियों के लोगों के हक में खड़े हो गए है। उन्होंने चंडीगढ़ प्रशासन से शहर में वर्ष 2006 से लागू स्माल फ्लैट्स योजना के तहत वर्ष 2014 के बाद आवंटित हुए फ्लैटो के आवंटियों से भी लाइसेंस शुल्क 3 हजार रूपए की बजाए 800 रूपए प्रति माह लिए जाने का आग्रह किया है। बंसल ने हाल में केन्द्रीय शासित प्रदेश के प्रशासक बनवारी लाल पुरोहित को इस आशय का एक पत्र लिख कर उनसे कहा है कि 2006 की इस योजना का उद्देश्य शहर में उस समय मौजूद 18 उन अनियोजित कॉलोनियों के निवासियों का पुनर्वास करना था, जहां लोग अति मलिन और अस्वच्छ परिस्थितियों में रहते थे। चंडीगढ़ को पूरी तरह स्लम मुक्त बनाने के लिए लाई गई इस योजना की मूल विशेषता यह थी 267 वर्ग फुट के 25000 नए फ्लैटों का 20 साल की अवधि के लिए 800 रूपये के मासिक लाइसेंस-शुल्क के आधार आवंटन पर किया जाना था, जिसके बाद उन्हें ही पक्के तौर पर दिया जाना था।
बंसल ने अपने पत्र में आगे कहा कि योजना की एक शर्त यह भी थी कि कच्ची कॉलोनियों के केवल वही निवासी ही आवंटन के पात्र थे, जिन्हें तब तक कोई पुनर्वास आवास या साइट कभी आवंटित नहीं की गई थी। इस योजना के तहत तत्कालीन प्रधान मंत्री डॉ. मनमोहन सिंह द्वारा 14 सितंबर, 2013 को धनास में झुग्गीवासियों को 8448 स्माल फ्लैटस की चाबियां सौंपीं गई, जिनका अगले 20 साल के लिए मासिक लाइसेंस शुल्क 800 रुपये था।
बंसल ने याद दिलाया कि इसके बाद 16000 से अधिक फ्लैटों का निर्माण 2006 की इसी योजना के तहत, इन्हीं शर्तों पर तेज़ी से किया जाना था। परन्तु 2014 के पश्चात केन्द्र सरकार ने इस महत्वाकांक्षी योजना को प्रधानमंत्री आवास योजना का नाम दे दिया और उसके अधीन नए आवंटित फ्लैटों का मासिक लाइसेंस शुल्क 800 रूपये से बढ़ा कर 3000 रूपये कर दिया, जिसे देने में कालोनीवासी असमर्थ हैं।
बंसल ने कहा कि स्माल फ्लैट्स के यह बेहद गरीब आवंटी बिजली और पानी शुल्क के साथ-साथ इस राशि का भुगतान करने में अपने आप को असहाय महसूस कर रहे हैं, जब कि कच्ची कॉलोनियों में उन्हें लाइसेंस शुल्क के रूप में एक भी पैसा नहीं देना पड़ता था। 2014 के बाद लाइसेंस शुल्क को एकदम से करीब चार गुणा बढ़ाए जाने से कालोनी वासियों की आर्थिक स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।
‘मसले पर दोबारा ग़ौर करें प्रशासक’
पूर्व सांसद पवन बंसल ने प्रशासक से इस मसले पर दोबारा ग़ौर करने का अनुरोध किया और कहा कि वह मनमोहन सरकार की इस योजना का नाम बदल कर चाहे इसे प्रधानमंत्री आवास योजना के नाम पर बरकरार रखें परन्तु वह जनहित में 2014 के बाद आवंटित
फ्लैटों से भी प्रति माह शुल्क 3000 रूपये की बजाए 800 रु. ही चार्ज करें, जैसा कि 2006 में लागू इस योजना में किया गया था।