मनीमाजरा (चंडीगढ़), 15 मई ( हप्र)
बुधवार को शहर की राजनीति में घटित हुए बड़े घटनाक्रम में चंडीगढ़ में आप और कांग्रेस के गठबंधन से आहत होकर कांग्रेस के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष और चंडीगढ़ के दो बार मेयर रहे सुभाष चावला ने पार्टी को अलविदा कहते हुए भाजपा में शामिल होने की घोषणा कर दी। जानकारी के मुताबिक सुभाष चावला ने अपने पुत्र सुमित चावला और अन्य सैकड़ों कार्यकर्ताओं के साथ हाथ को बाय-बाय बोलते हुए कमल थाम लिया। सेक्टर-34 पार्टी कार्यालय कमलम में भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्षा सरोज पांडेय, उम्मीदवार संजय टंडन और प्रदेशाध्यक्ष जितेंद्र पाल मल्होत्रा के नेतृत्व में सुभाष चावला ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण की। संजय टंडन ने सुभाष चावला को पार्टी का पटका पहनाकर विधिवत रूप से पार्टी में शामिल किया। टंडन ने कहा कि सुभाष चावला वरिष्ठ नेता हैं। उन्हें दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी में पूरा मान-सम्मान मिलेगा। उनके साथ उनका 20 साल पुराना संबंध है। भले ही दोनों अलग-अलग राजनीतिक पार्टियों से संबंध रखते हैं और उनकी विचारधारा भी अलग रही है, लेकिन उन्होंने भाजपा और सुभाष चावला ने कांग्रेस की तरफ कई बार एक मंच पर इकट्ठे होकर शहर के विकास की लड़ाई लड़ी है। साथ ही उनकी और सुभाष चावला की सोच विकास के मामले में एक जैसी है। विपक्ष में होते भी उन्होंने हमेशा शहर के विकास की पैरवी की। इस अवसर पर राष्ट्रीय उपाध्यक्षा सरोज पांडेय ने कहा कि कांग्रेस पूरे देश में हो-हल्ला मचा रही है। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्पष्ट कर चुके हैं कि उनके नेता की उम्र के बराबर भी कांगेस की सीटें नहीं आएंगी, क्योंकि कांग्रेस से लोगों का विश्वास उठ चुका है। भारत को मजबूत नेतृत्व की जरूरत है। इसलिए जनता मोदी के नेतृत्व में तीसरी बार सरकार बनाने जा रही है।
आप के साथ कांग्रेस के समझौते से हुई पीड़ा:सुभाष
भाजपा की सदस्यता ग्रहण करने के बाद सुभाष चावला ने कहा कि भाजपा और कांग्रेस की वैचारिक राजनीति की लड़ाई रही है। दोनों पार्टियां एक दूसरे की प्रतिद्वंद्वी मानी जाती हैं। मगर आम आदमी पार्टी के साथ कांग्रेस का समझौता होने से उन्हें बड़ी पीड़ा हुई और उन्होंने उसी दिन पार्टी को छोड़ने का फैसला ले लिया था। दोनों पार्टियों की विचारधारा पूरी तरह अलग है। कांग्रेस को इस हाल में पहुंचाने का सबसे बड़ा योगदान आप का है। इसके बावजूद भी कांग्रेस ने आप के साथ समझौता किया। उन्होंने स्पष्ट किया कि आप के साथ कांग्रेस का समझौता नीतिगत तौर पर सही फैसला नहीं है। आने वाले समय में चंडीगढ़ कांग्रेस को इसका नुकसान होगा।