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साइकिल पर 62 की उड़ान : आलोक भंडारी ने लेह-मनाली सफर कर रचा वर्ल्ड रिकॉर्ड

62 साल की उम्र में लोग अक्सर रिटायरमेंट के बाद आराम की जिंदगी चुनते हैं, लेकिन चंडीगढ़ के आलोक भंडारी ने साइकिल पर सवार होकर इस सोच को बदल डाला। आलोक ने लेह से मनाली तक का 428 किलोमीटर का...
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62 साल की उम्र में लोग अक्सर रिटायरमेंट के बाद आराम की जिंदगी चुनते हैं, लेकिन चंडीगढ़ के आलोक भंडारी ने साइकिल पर सवार होकर इस सोच को बदल डाला। आलोक ने लेह से मनाली तक का 428 किलोमीटर का सफर सिर्फ 47 घंटे 32 मिनट में पूरा कर दुनिया के पहले ऐसे 60 प्लस साइक्लिस्ट बनने का गौरव हासिल किया, जिन्होंने यह कारनामा किया। इस उपलब्धि के साथ उनका नाम इंटरनेशनल बुक ऑफ रिकार्ड्स में दर्ज हो गया है।

हार्ट पेशेंट, फिर भी हिम्मत नहीं हारी

आलोक की उपलब्धि को खास बनाने वाली बात यह है कि वे हार्ट पेशेंट हैं। 2020 में उन्हें हार्ट प्रॉब्लम हुई थी और स्टंट डालना पड़ा था। लेकिन इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी। कोविड के बाद उन्होंने साइक्लिंग को अपनी जिंदगी का हिस्सा बनाया और लगातार खुद को चुनौती दी।

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2022 में उन्होंने मनाली से लेह तक का सफर 5 दिन में पूरा किया। 2023 में यही सफर 4 दिन में किया।

2024 में इसे 3 दिन में पूरा किया और 2025 में, उल्टा सफर यानी लेह से मनाली तक 428 किमी का सफर केवल 47 घंटे 32 मिनट में पूरा कर वर्ल्ड रिकॉर्ड बना दिया।

कड़ी ट्रेनिंग और अनुशासन

आलोक बताते हैं कि उन्होंने जनवरी से इस लक्ष्य के लिए ट्रेनिंग शुरू की थी। रोजाना घंटों साइक्लिंग, प्रोटीन युक्त भोजन, पर्याप्त पानी का सेवन और ऊंचाई वाले इलाकों में ऑक्सीजन की कमी से जूझने की तैयारी... इन्हीं ने उन्हें इस कठिन सफर के लिए तैयार किया। इस दौरान उनके तीन दोस्त साथ रहे और परिवार ने भी पूरा समर्थन दिया।

‘उम्र तय नहीं करती, इरादा तय करता है’

सेवानिवृत्त इंजीनियर आलोक का कहना है कि उम्र ये तय नहीं करती कि आप रुक जाएं। ये आपका निर्णय है कि आप क्या करना चाहते हैं। मैं 60 प्लस में फिटनेस पर ध्यान देता हूं और लोगों को इसके लिए प्रेरित करता हूं। फिटनेस उतनी ही जरूरी है, जितनी सुबह की दंतमंजन। सेहत पर काम करें और खुद को समय दें।

हर उम्र के लिए मिसाल

आलोक भंडारी का यह रिकॉर्ड सिर्फ एक खेल उपलब्धि नहीं, बल्कि समाज के लिए प्रेरणा भी है। यह साबित करता है कि अगर इरादा पक्का हो तो न उम्र मायने रखती है, न शारीरिक सीमाएं। आलोक की साइकिल यात्रा जज़्बे, हिम्मत और अनुशासन की जीती-जागती मिसाल है।

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