जोगिंद्र सिंह/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 7 दिसंबर
पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला के 9 दिसंबर को होने जा रहे दीक्षांत समारोह में इस बार भारत की पहली महिला एफआरएस फेलो प्रो. गगनदीप कौर कंग बतौर मुख्य अतिथि शिरकत करेंगी। इसी दिन पंजाबी यूनिवर्सिटी प्रो. कंग को डाक्टरेट की मानद उपाधि से भी नवाजेगी। द रायल सोसायटी आफ लंदन (एफआरएस) के दुनियाभर से कुल 1500 फेलो हैं जो विज्ञान, इंजीनियरिंग और चिकित्सा के क्षेत्रों से जुड़े हैं, जिनमें 80 से अधिक नोबेल पुरस्कार विजेता शामिल हैं। एक मरीन इंजीनियर अार्देसियर के वाडिया 1841 में एफआरएस के लिए चुने जाने वाले पहले भारतीय थे। 1919 में महान गणितज्ञ श्रीनिवासन रामानुजन फेलो बने थे। आजादी से पहले केवल 10 वैज्ञानिक ही इसके फेलो थे। पंजाब से डॉ. बीरबल साहनी, डॉ. शांति स्वरूप भटनागर के अलावा प्रो. बीपी पाल (1972), प्रो. अवतार सिंह पेंटल (1981), प्रो. गुरदेव सिंह खुश (1995), प्रो. अजय कुमार सूद (2015) व प्रो. कमलजीत सिंह बावा शामिल हैं। अब नवीनतम प्रो. गगनदीप कौर कंग (2019) हैं।
रोटावायरस पर अहम योगदान है प्रो. कंग का
प्रो. गगनदीप कंग को रोटावायरस और अन्य संक्रामक रोगों के नैसर्गिक इतिहास को समझने में उनके अग्रणी योगदान के लिए फेलोशिप प्रदान किया गया, जो विश्व स्तर पर और भारत के लिहाज से महत्वपूर्ण हैं। इंफोसिस पुरस्कार के लिए उनके प्रशस्ति-पत्र में यह अनुमान लगाया गया था कि उनके निष्कर्षों का संक्रमणों को रोकने के लिए टीकों और अन्य सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों के लिए बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है।
भविष्य के लिये वैक्सीन के बारे में सोचें
जुलाई 2017 में भारतीय विज्ञान अकादमी, बेंगलुरु की बैठक में भारत में टीके और सार्वजनिक स्वास्थ्य पर अपनी प्रस्तुति में प्रो. गगनदीप कंग ने कहा था कि हमें भविष्य के बारे में सोचने की जरूरत है और टीकों को विकसित करने की हमारी क्षमता में क्या बाधा है और टीके के उपयोग के निर्णय लेने की हमारी क्षमता के लिए क्या चुनौतीपूर्ण है, इसे देखना होगा? इस दिशा में रणनीतिक विकास और कार्यान्वयन की आवश्यकता है। हमें अपने लोगों को ज्ञात और अज्ञात बीमारियों से बचाने के लिए टीकों और सार्वजनिक स्वास्थ्य में चुनौतियों को अवसरों में बदलने के लिए अपने अनुभव का निर्माण करने की आवश्यकता है।