चंडीगढ़ 19 जून (ट्रिन्यू)
खेती विरासत मिशन (केवीएम) पंजाब में जैविक खेती आंदोलन में सबसे आगे रहा है। पिछले 16 वर्षों से केवीएम ने सुरक्षित भोजन, समग्र स्वास्थ्य और मिलेट्स के पुनरुद्धार के क्षेत्र में विविध परियोजनाओं को क्रियान्वित किया है। 20 जून को पंजाब विधानसभा अध्यक्ष कुलतार सिंह संधवान की अध्यक्षता में फरीदकोट में राज्य स्तरीय कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा, जिसमें बाजरा कृषिविद, वैज्ञानिक, डॉक्टर, किसान, मिलेट्स शेफ भाग लेंगे।
21 जून को खडूर साहिब में विशेष मधुमेह रिवर्सल सप्ताह का आयोजन किया जाएगा और इसकी शुरुआत मिलेट्स मैन डॉ. खादर वली करेंगे। इस सप्ताह भर चलने वाले शिविर में मधुमेह रोगियों के लिए मधुमेह रिवर्सल कार्यक्रम के लिए 4रेजिडेंशियल कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा।
कैसे काम करेगा खेती मिशन
केवीएम नागरिक समाज के साथ मिलकर लोगों को मिलेट्स के महत्व के बारे में जागरूक करेगा। मसलन कैसे मिलेट्स यानी मोटे अनाज वाली फसलों को उगाने के लिए किसी कीटनाशक की आवश्यकता नहीं होती है और इन्हें सभी प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है। केवीएम पंजाब की मिलों को खुदरा बाजार में लाने के लिए आपूर्ति श्रृंखला का निर्माण और प्रचार भी करेंगे। मिलेट्स मैन डॉ. खादर वली के मुताबिक इसमें बड़ी मात्रा में फाइबर, खनिज और प्रोटीन जैसे तत्व हैं और ये अनाज पोषण का एक पावरहाउस है।
धान की खेती आपदा लेकर आयी: दत्त
पंजाब राज्य के लिए स्थायी कृषि के वैकल्पिक मॉडल की आवश्यकता को स्वीकार करते हुए केवीएम अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष 2023 को सफलता से मनाने के लिए अपनी पहल शुरू कर रहा है। केवीएम के कार्यकारी निदेशक उमेंद्र दत्त ने बताया कि मिलेट्स की खेती उस समय से बहुत पहले की है जब गेहूं और चावल कुल खेती क्षेत्र के बहुत कम प्रतिशत पर कब्जा करते थे। कोदरा, स्वंक, कंगनी, कुटकी, रागी, बाजरा, ज्वार पंजाब और हरियाणा की प्रचलित फसलें थीं। ‘हरित क्रांति’ ने इन पर्यावरण फ्रेंडली फसलों का सफाया कर दिया और उन्हें पानी की अधिकतम आवश्यकता वाली धान के साथ बदल दिया। उन्होंने जोर दिया कि धान की खेती पंजाब राज्य के लिए आपदा के अलावा कुछ नहीं लेकर आई है।