मोहाली जिले के 17 गांवों की पंचायत शामलात जमीनों को बेचने की सरकारी नीति के खिलाफ़ किसान जत्थेबंदियों ने बड़ा मोर्चा खोल दिया है। इस संबंध में जत्थेबंदियों ने डिप्टी कमिश्नर मोहाली के माध्यम से पंजाब के मुख्यमंत्री को मांग पत्र सौंपकर तत्काल यह नीति रद्द करने की मांग की। हालांकि डिप्टी कमिश्नर की गैरहाजिरी में यह मांग पत्र एडीसी को दिया गया। जत्थेबंदियों ने बताया कि हाल ही में डीडीपीओ मोहाली द्वारा 17 गांवों के पंचायत सचिवों, सरपंचों और पंचों की बैठक बुलाई गई थी, जिसमें ज़बरदस्ती शामलात ज़मीनों को बेचने के प्रस्ताव पास करने का दबाव बनाया गया। लेकिन सरपंचों ने साफ कहा कि ज़मीन बेचने से पंचायतों के पास न तो आय का स्रोत बचेगा और न ही विकास कार्यों के लिए साधन। इसके उलट गांवों को भारी आर्थिक नुकसान होगा क्योंकि इन ज़मीनों की कीमत लगातार बढ़ रही है। गुरुद्वारा अंब साहिब में हुई बैठक में किसान जत्थेबंदियों ने 16 सदस्यीय समिति बनाकर शामलात ज़मीनें बचाओ मोर्चा का गठन किया। इसमें अंग्रेज़ सिंह भदौड़, गुरप्रीत सिंह सेखणमाजरा, लखविंदर सिंह लखी, गुरप्रताप सिंह बड़ी, लखविंदर सिंह हैप्पी, रविंदर सिंह वजीदपुर, किरपाल सिंह सियाऊ आदि शामिल किए गए। एडवोकेट दर्शन सिंह धालीवाल को कानूनी सलाहकार नियुक्त किया गया।
किसानों की मुख्य मांगेंमांग पत्र में कहा गया कि सरकार ज़मीनें बेचने की बजाय गांवों के बेघर और बेज़मीन लोगों को 5-5 मरले के प्लॉट काटकर दे। जत्थेबंदियों ने दलील दी कि ये ज़मीनें पुरखों के समय से गांव की साझा संपत्ति रही हैं और सरकार को इन्हें बेचने का कोई अधिकार नहीं।
सरकार को चेतावनी
मांग पत्र में आरोप लगाया गया कि आम आदमी पार्टी सरकार बड़े बिल्डरों और कॉरपोरेट घरानों के हित में यह नीति लागू कर रही है ताकि पंजाब के गांवों को उजाड़कर ज़बरदस्ती शहरीकरण थोप सके। जत्थेबंदियों ने साफ चेतावनी दी कि यदि किसी विधायक, मंत्री या अधिकारी ने यह नीति गांवों में लागू करने की कोशिश की तो उनका गांवों में प्रवेश पूरी तरह बंद कर दिया जाएगा। किसान जत्थेबंदियों ने ऐलान किया कि यदि यह निर्णय वापस नहीं लिया गया तो ब्लॉक समिति, ज़िला परिषद से लेकर 2027 के विधानसभा चुनावों तक आम आदमी पार्टी को पंजाब के गांवों से बाहर कर दिया जाएगा।