जोगिंद्र सिंह/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 13 अप्रैल
पंजाब विश्वविद्यालय के चांसलर एम वैंकेया नायडू द्वारा फैकल्टी चुनाव रद्द करने को पीड़ित पक्ष हाईकोर्ट में चुनौती देगा। प्रो. नवदीप गोयल ने बताया कि नोटिफाई करने को लेकर मामला वैसे तो पहले ही कोर्ट में हैं जिसकी सुनवाई इसी माह होनी है मगर अब क्योंकि मसला पलट गया है इसलिये नये सिरे से कोर्ट में याचिका दायर करनी होगी। लैंग्वेज से जीतकर आने वाली प्रो. राजेश गिल टीचिंग से ही इस्तीफा दे चुकी हैं। दूसरा आर्ट्स फैकल्टी से जीते प्रो. रौणकी राम भी 60 के पार हो गये हैं। एक तरह से फैकल्टी में चुनाव होना तो लाजिमी ही हैं लेकिन यह एक सीट पर होगा या दो पर या फिर सभी छह सीटों पर होगा, यह देखने वाली बात है। कोर्ट के ही आदेश पर कराये गये चुनाव में फैकल्टी से मेडिकल फैकल्टी अशोक गोयल, साइंस फैकल्टी से प्रो. नवदीप गोयल, कंबाइंड फैकल्टी से प्रो. केशव मल्होत्रा, आर्ट्स फैकल्टी से प्रो. रौणकी राम और लॉ से अनु चतरथ चुनाव जीतकर आयी थीं। प्रो. नवदीप गोयल के मुताबिक छह में से तीन- साइंस, आर्ट्स और लैंग्वेज फैकल्टी से चुनाव लड़ने वाले को फैकल्टी का मैंबर होना आवश्यक है जबकि लॉ, मेडिकल और कंबाइंड फैकल्टी से चुनाव लड़ने के लिये ऐसी कोई बाध्यता नहीं है। इसके लिये सीनेटर होना या फिर फैकल्टी मैंबर होना आवश्यक नहीं है वरना एडवोकेट जगजोत सिंह लाली लॉ फैकल्टी से अनु चतरथ के खिलाफ चुनाव कैसे लड़ पाते?
चुनाव लड़ने को मैंबर होना आवश्यक : प्रो. ग्रोवर
पूर्व कुलपति और सीनेटर प्रो. अरुण ग्रोवर का कहना है कि फैकल्टी के छह में से केवल एक प्रो. नवदीप गोयल ही चुनाव लड़ सकते हैं। प्रो. राजेश गिल इस्तीफा दे चुकी हैं,प्रो. रौणकी राम रिटायर हो गये हैं। अनु चतरथ, अशोक गोयल किसी फैकल्टी के मैंबर या एडिड मैंबर नहीं हैं। उन्होंने दावा किया कि गोयल ग्रुप कैलेंडर की गलत व्याख्या कर रहा है, चुनाव लड़ने के लिये फैकल्टी मैंबर होना आवश्यक है।
दो सीनेटरों ने रजिस्ट्रार को लिखा पत्र
फैकल्टी चुनाव की आहट पाकर दो सीनेटरों प्रो. रजत संधीर और डॉ. जतिंदर ग्रोवर ने रजिस्ट्रार को एक पत्र लिखकर टीचर्स की पीयू कैलेंडर में सर्विस कंडीशन्स को लेकर किये गये संशोधनों के बारे में अवगत कराया है। 2007 में किये गये संशोधन के अनुसार नये प्रावधानों में रेगुलेशन 19 चैप्टर 6 (ए) में साफ है कि टीचिंग फैकल्टी पर पे-स्केल समेत सर्विस कंडीशन यूजीसी/एमईआई नियमन निकाय द्वारा दी गयी शर्तों के मुताबिक ही लागू होंगी। इससे पहले टीचर के 60 साल का होने पर फुल टाइम टीचर नहीं माना जाता था मगर संशोधन अपनाने के बाद ऐज को यूजीसी रेगुलेशन के अनुसार कर दिया गया है।