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आंखों की नयी चुनौतियों और इलाज पर विशेषज्ञों का मंथन

चंडीगढ़ में ‘आइकोनिक कॉस 2025’
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आंखों की बीमारियां बदलते दौर के साथ नयी चुनौतियां पेश कर रही हैं और इन्हीं पर मंथन करने के लिए चंडीगढ़ शनिवार को विशेषज्ञों का गढ़ बना। चंडीगढ़ ऑप्थाल्मोलॉजिकल सोसाइटी की 36वीं वार्षिक कॉन्फ्रेंस ‘आइकोनिक कॉस 2025’ का आगाज एडवांस आई सेंटर पीजीआई और जीएमसीएच-32 के संयुक्त प्रयास से हुआ। उत्तर भारत से करीब 180 नेत्र विशेषज्ञ इसमें जुटे और आंखों की बीमारियों व आधुनिक उपचार तकनीकों पर अपने अनुभव साझा किए। आयोजन समिति के चेयरपर्सन प्रो. अमित गुप्ता और ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेटरी प्रो. पारुल इच्चपुजानी ने कहा कि यह सिर्फ एक कॉन्फ्रेंस नहीं, बल्कि ऐसा मंच है जहां नई तकनीकों, शोध और अनुभवों पर खुली चर्चा होती है। इसका फायदा सीधे मरीजों को मिलेगा, क्योंकि चिकित्सकों को उपचार के बेहतर और नवीन विकल्प मिलेंगे। सम्मेलन के पहले दिन कई शोध निष्कर्ष सामने आए जिनका सीधा असर आम लोगों की आंखों की सेहत पर है। विशेषज्ञों ने बताया कि मोबाइल और लैपटॉप पर ज्यादा समय बिताने से ड्राई आई की समस्या तेजी से बढ़ रही है। नींद की कमी भी दृष्टि पर गंभीर असर डालती है। केराटोकॉनस का इलाज अब कोलेजन क्रॉस-लिंकिंग तकनीक से अधिक सफल हो रहा है। कुछ एंटीबायोटिक दवाएं (जैसे लाइनजोलिड) आंखों पर हानिकारक असर डाल सकती हैं। ग्लूकोमा जैसी गंभीर बीमारी में विटामिन सप्लीमेंटेशन लाभकारी हो सकता है। समय से पहले जन्मे बच्चों में रेटिनोपैथी स्क्रीनिंग बेहद जरूरी है, अन्यथा दृष्टि पर स्थायी प्रभाव पड़ सकता है।

सीख और उत्साह साथ-साथ

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क्लिनिकल केस प्रेजेंटेशन ने डॉक्टरों को वास्तविक अनुभवों से जोड़ा, जबकि क्विज प्रतियोगिता ने सम्मेलन को जीवंत बना दिया। प्रतियोगिता में पहला स्थान जीएमसीएच-32 की डॉ. वर्निका और डॉ. अरुषि ने हासिल किया। दूसरा स्थान पीजीआई के डॉ. प्रणव और डॉ. आशीष को मिला, जबकि तीसरा स्थान पीजीआई के डॉ. आर्चीषा और डॉ. अक्षत ने जीता।

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