चंडीगढ़, 25 जून (ट्रिन्यू)
आपातकाल की 47वीं बरसी पर आज एक वेबिनार का आयोजन किया गया जिसमें मुख्य वक्ता के तौर पर वरिष्ठ पत्रकार डा. वेद प्रताप वैदिक ने आपातकाल की बरसी विषय पर अपने विस्तृत विचार रखे और आपातकाल को भारतीय लोकतन्त्र का एक काला अध्याय बताते हुए कहा कि उस समय प्रेस पर सेंसरशिप लगा कर नागरिक अधिकारों का गला घोंट दिया गया था । मध्य प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री अजय बिश्नोई ने विशिष्ट वक्ता के तौर पर आपातकाल की अपनी 19 महीने 2 दिन की जेल-यात्रा के अनुभव श्रोताओं से साझा किए। इनके अतिरिक्त वरिष्ठ पत्रकार पवन कुमार बंसल ने बताया कि एमरजेंसी लगने के दिन वह नरवाना में कालेज में पढ़ते थे ।
रेवाड़ी के सोशल -एक्टिविस्ट एवं एडवोकेट नरेश चौहान ने कहा कि बरसी दिवंगत आत्मा की शांति के लिए मनाई जाती है। मृतक के अच्छे बुरे कामों को बरसी पर याद किया जाता है। आज आपातकाल की घोषणा की 47वीं बरसी पर हम उसी भाव से आपातकाल के दौर की अच्छाई व बुराई का अपना अनुभव सांझा कर रहे हैं । भाई अरुण जोहर साधुवाद के पात्र हैं जिन्होंने इस मीटिंग में ऑनलाइन जुड़ने का अवसर प्रदान किया। वेबिनार के संयोजक अरुण जौहर बिश्नोई, एडवोकेट, पंजाब व हरियाणा हाई कोर्ट तथा चंडीगढ़ की प्रोफेसर डा. मोनिका अग्रवाल ने भी एमरजेंसी-काल के काले दिनों को याद किया।