डायबिटिक फुट से बचाव की राह दिखाएगी ‘पद, पादुका और आप’
विवेक शर्मा
चंडीगढ़, 4 फरवरी
मधुमेह (डायबिटीज) अब केवल एक बीमारी नहीं, बल्कि एक गंभीर स्वास्थ्य आपातकाल बन चुका है। भारत में डायबिटीज के मरीजों की संख्या दुनिया में सबसे अधिक हो गई है, और इस बीमारी की एक भयावह जटिलता ‘डायबिटिक फुट’ है।
हर साल हजारों मरीज पैर के संक्रमण, गैंगरीन और अल्सर की वजह से अपने पैर गंवाने को मजबूर हो जाते हैं। लेकिन चौंकाने वाली सच्चाई यह है कि 85 प्रतिशत मामलों में एम्प्यूटेशन (टांग काटने) से बचाव संभव है।
इसी जागरूकता की कमी को दूर करने के लिए पीजीआई चंडीगढ़ के एंडोक्राइनोलॉजी विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. आशु रस्तोगी ने हिंदी में ‘पद, पादुका और आप’ नामक पुस्तक लिखी है। इस पुस्तक का विमोचन पीजीआईएमईआर के निदेशक प्रो. विवेक लाल ने किया और इसे मरीजों को निःशुल्क वितरित करने की घोषणा की गई।
डायबिटिक फुट: एक अनदेखा खतरा
डायबिटीज के कारण शरीर की रक्त वाहिनियां कमजोर हो जाती हैं, जिससे पैर में संक्रमण, अल्सर और गैंगरीन जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं। यह न केवल मधुमेह के इलाज का खर्च पांच गुना तक बढ़ा देता है, बल्कि मरीजों को विकलांगता और जीवनभर की पीड़ा भी दे सकता है। 50 प्रतिशत से अधिक अस्पताल में भर्ती होने वाले डायबिटीज मरीज डायबिटिक फुट अल्सर (DFU) से पीड़ित होते हैं।
एक मरीज अपने वार्षिक खर्च का 50 प्रतिशत सिर्फ पैर के इलाज पर खर्च करता है। हर साल दो लाख लोग डायबिटिक फुट के कारण अपना पैर गंवा देते हैं। यह समस्या इतनी गंभीर है कि डायबिटीज अब लेग एम्प्यूटेशन का सबसे बड़ा कारण बन चुका है, जबकि सड़क दुर्घटनाएं इससे कहीं पीछे हैं।
‘पद, पादुका और आप’ : पैरों की रक्षा की एक सरल गाइड
डॉ. आशु रस्तोगी की यह पुस्तक डायबिटिक फुट से बचाव के लिए एक संपूर्ण मार्गदर्शिका है। हिंदी में लिखी गई यह किताब सरल भाषा और चित्रों के माध्यम से यह समझाने का प्रयास करती है कि मधुमेह के मरीज कैसे अपने पैरों को सुरक्षित रख सकते हैं।
पुस्तक की मुख्य विशेषताएं:
✔ पैरों की सही देखभाल के टिप्स: पैरों को धोना, नाखून काटना, मॉइस्चराइज़र लगाना आदि।
✔ क्या न करें: खुद से सर्जरी न करें, हीटर के सामने पैर न गर्म करें, नंगे पैर न चलें।
✔ सही फुटवियर का चयन: कौन से जूते पहनने चाहिए और कौन से नहीं?
✔ डायबिटिक फुट की शुरुआती पहचान: किन लक्षणों पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें?
✔ दिल और पैरों का संबंध: यदि पैर की धमनियों में ब्लॉकेज है तो यह हार्ट अटैक का संकेत हो सकता है।
डॉ. रस्तोगी का कहना है कि "फुट इज़ द मिरर ऑफ हार्ट" यानी पैरों की स्थिति दिल की सेहत का आईना होती है। यदि टांगों में रक्त संचार बाधित हो रहा है, तो यह हृदय रोग की गंभीर चेतावनी हो सकती है।
सामाजिक पहल: मरीजों को निःशुल्क दी जाएगी पुस्तक
डॉ. आशु रस्तोगी की यह पुस्तक एक सामाजिक जिम्मेदारी के तहत तैयार की गई है। इसे पीजीआई चंडीगढ़ के एंडोक्राइनोलॉजी विभाग में डायबिटीज मरीजों को निःशुल्क वितरित किया जाएगा। इस पुस्तक की भूमिका प्रसिद्ध समाजसेवी पद्मश्री श्री आर.के. साबू और डायबिटिक फुट सोसायटी ऑफ इंडिया के अध्यक्ष प्रो. अरुण बाल (मुंबई) ने लिखी है।
पीजीआईएमईआर के निदेशक ने किया विमोचन
पीजीआई चंडीगढ़ के निदेशक प्रो. विवेक लाल ने इस पुस्तक का औपचारिक विमोचन करते हुए कहा, "डायबिटिक फुट के कारण हर साल हजारों लोग अपने पैरों से हाथ धो बैठते हैं, लेकिन यदि सही जानकारी समय पर मिल जाए, तो इसे रोका जा सकता है। यह पुस्तक मरीजों को सशक्त बनाएगी और उन्हें अपने पैरों की देखभाल के प्रति जागरूक करेगी।"
डॉ. आशु रस्तोगी ने कहा
"मधुमेह रोगियों को अपने पैरों की सुरक्षा के प्रति गंभीर होने की जरूरत है। मैंने यह पुस्तक इसलिए लिखी है ताकि मरीजों को सरल और प्रभावी तरीके से यह समझाया जा सके कि वे अपने पैरों को सुरक्षित कैसे रख सकते हैं। मेरा उद्देश्य मरीजों को जागरूक करना और उनकी जीवनशैली में सकारात्मक बदलाव लाना है।"