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PGI Chandigarh डॉ. अमन शर्मा बने इंडियन रुमेटोलॉजी एसोसिएशन के अध्यक्ष

पीजीआई चंडीगढ़ के इंटरनल मेडिसिन विभाग के क्लिनिकल इम्यूनोलॉजी और रुमेटोलॉजी डिवीजन में प्रोफेसर डॉ. अमन शर्मा ने इंडियन रुमेटोलॉजी एसोसिएशन (आईआरए) के अध्यक्ष का पदभार संभाल लिया है। यह नियुक्ति आईआरएकॉन् 2025 (IRACON 2025) के समापन समारोह में औपचारिक...

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पीजीआई चंडीगढ़ के इंटरनल मेडिसिन विभाग के क्लिनिकल इम्यूनोलॉजी और रुमेटोलॉजी डिवीजन में प्रोफेसर डॉ. अमन शर्मा ने इंडियन रुमेटोलॉजी एसोसिएशन (आईआरए) के अध्यक्ष का पदभार संभाल लिया है। यह नियुक्ति आईआरएकॉन् 2025 (IRACON 2025) के समापन समारोह में औपचारिक रूप से की गई, जो नई दिल्ली के द्वारका स्थित यशोभूमि, इंडिया इंटरनेशनल कन्वेंशन एंड एक्सपो सेंटर में आयोजित हुआ।

चार दिन तक चले इस प्रतिष्ठित सम्मेलन (9 से 12 अक्तूबर) में भारत और विदेशों से लगभग 2000 रुमेटोलॉजिस्ट, क्लिनिकल इम्यूनोलॉजिस्ट, शोधकर्ता और प्रशिक्षु चिकित्सक शामिल हुए।

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शोध और नेतृत्व में विशिष्ट योगदान

डॉ. शर्मा इससे पहले आईआरए के सचिव, कोषाध्यक्ष और कार्यकारी समिति सदस्य रह चुके हैं। उनके शोध और क्लिनिकल कार्यक्षेत्र दुर्लभ रुमेटिक बीमारियों, सिस्टमिक वास्कुलाइटिस और रिलैप्सिंग पॉलीकॉन्ड्राइटिस पर केंद्रित हैं। उन्होंने इस तथ्य को उजागर किया कि दुर्लभ रोग DADA2 वयस्कों में भी होता है। उन्होंने कई राष्ट्रीय रजिस्ट्री प्रोजेक्ट की स्थापना की है।

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  • आईएनवीएआर (INVAR – Indian Vasculitis Registry)
  • आईआरपीआर (IRPR – Indian Relapsing Polychondritis Registry)
  • डॉ. शर्मा ने पोंसेट्स रोग (Poncet’s disease) के लिए ‘शर्मा और पिंटो मानदंड’ विकसित किए हैं, जो निदान में महत्वपूर्ण माने जाते हैं।

अंतरराष्ट्रीय पहचान और सम्मान

जनवरी 2023 से वे इंडियन जर्नल ऑफ रुमेटोलॉजी के प्रधान संपादक (Editor-in-Chief) हैं। उन्हें स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की सूची में दुनिया के शीर्ष 2% शोधकर्ताओं में स्थान मिला है।

डॉ. शर्मा को कई प्रतिष्ठित सम्मान प्राप्त हुए हैं, जिनमें शामिल हैं—

  • रवींद्रनाथ टैगोर ऑरेशन (2019)
  • सीएमसी वेल्लोर - एमिनेंट मिड करियर रुमेटोलॉजिस्ट ऑरेशन (2018)
  • वीआर जोशी जेएपीआई अवार्ड (2018)
  • एनुअल आईआरए ऑरेशन (2015)
  • आईआरए यंग इन्वेस्टिगेटर अवार्ड (2007)

उन्होंने अमेरिकन कॉलेज ऑफ रुमेटोलॉजी की वार्षिक मीटिंग प्लानिंग कमेटी (2015–18) में भी सदस्य के रूप में योगदान दिया और एसीआर-यूलर (ACR-EULAR) की विभिन्न बीमारियों के वर्गीकरण मानदंडों के विशेषज्ञ समीक्षक रहे।

चिकित्सा शिक्षा में नई दिशा

डॉ. शर्मा ने अब तक 560 से अधिक शोध पत्र, 70 पुस्तक अध्याय और 10 पुस्तकों का संपादन किया है, जिनमें ‘टेक्स्टबुक ऑफ सिस्टमिक वास्कुलाइटिस’ के दो संस्करण शामिल हैं।

उन्होंने पीजीआईएमईआर में डीएम प्रोग्राम इन क्लिनिकल इम्यूनोलॉजी एंड रुमेटोलॉजी की स्थापना में भी अहम भूमिका निभाई।

उनका कार्य चिकित्सा सेवा, रजिस्ट्री आधारित शोध और शिक्षा के समन्वय का उदाहरण है, जिसने उन्हें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विशिष्ट पहचान दिलाई है।

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