डीएनए टेस्ट ने किया सच उजागर, माता-पिता के आरोप झूठे साबित
सोहाना मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल में ‘बच्चा बदलने’ का विवाद खत्म
मोहाली के सोहाना अस्पताल में शुक्रवार को डीएनए टेस्ट के बारे में जानकारी देते हुए डॉ गगनदीप सचदेवा एवं सीए आदर्श सूरी।-निस
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सोहाना मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल में हाल ही में उठा “नवजात बदलने” का विवाद आखिरकार डीएनए जांच रिपोर्ट से समाप्त हो गया। अस्पताल प्रबंधन ने शुक्रवार को घोषणा की कि रिपोर्ट में सौ प्रतिशत प्रमाणित हुआ है कि 11 सितम्बर को जन्मी बच्ची के वास्तविक माता-पिता संदीप सिंह और रमनप्रीत कौर ही हैं। अस्पताल अधिकारियों ने बताया कि डीएनए रिपोर्ट पुलिस और परिजनों की मौजूदगी में खोली गई, जिसमें स्पष्ट रूप से लिखा था कि नवजात कन्या उन्हीं की संतान है। यह विवाद तब शुरू हुआ था जब करनाल के एक गांव के वासी संदीप सिंह ने आरोप लगाया कि अस्पताल ने पहले उन्हें पुत्र दिखाया और बाद में बच्ची सौंप दी। अस्पताल प्रशासन का कहना है कि उन्होंने कई बार माता-पिता को समझाने की कोशिश की, लेकिन जब स्थिति काबू में नहीं आई तो पुलिस की मौजूदगी में डीएनए जांच करवाई गई। अस्पताल के सीईओ डॉक्टर गगनदीप सचदेवा एवं मुख्य प्रशासक आदर्श सूरी ने कहा कि हमें खुशी है कि अब सब कुछ स्पष्ट हो गया है। डीएनए रिपोर्ट ने सिद्ध कर दिया है कि बच्ची उनके ही परिवार की संतान है। हमारा संस्थान हमेशा से नैतिकता और गुणवत्तापूर्ण सेवाओं के लिए प्रतिबद्ध रहा है और आगे भी रहेगा।’ डॉ. निशा मेनन और डॉ. आकांक्षा डोगरा, जिन्होंने डिलीवरी और पोस्ट-नेटल देखभाल की निगरानी की, ने बताया कि अस्पताल की सभी चिकित्सीय प्रक्रियाओं का पालन किया गया। यहां तक कि वीडियो रिकॉर्डिंग में भी यह प्रमाणित है कि बच्ची को जन्म के तुरंत बाद माता-पिता दोनों को दिखाया गया था। अस्पताल प्रबंधन ने लिंग आधारित भेदभाव की कड़ी निंदा की और कहा कि यह दंपति पहले से दो बेटियों के माता-पिता हैं और 11 साल बाद एक और बेटी का आशीर्वाद मिला है। मुख्य प्रशासक आदर्श सूरी और सीईओ डॉ. गगनदीप सचदेवा ने पुष्टि की कि डीएनए रिपोर्ट के बाद अब माता-पिता ने बच्ची को स्वीकार कर लिया है। उन्होंने बताया कि बच्ची के माता-पिता ने ने कहा कि “अब सब ठीक है और बच्ची को वह अपना रहे हैं। अस्पताल ने शुरुआती आरोपों को ‘पूरी तरह मनगढ़ंत कहानी’ करार देते हुए साफ कहा कि किसी भी कर्मचारी ने कभी यह नहीं कहा कि नवजात लड़का है। रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद अस्पताल ने दोहराया कि वह पारदर्शी, नैतिक और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं जारी रखेगा। साथ ही उम्मीद जताई कि यह घटना समाज को लड़का-लड़की के भेदभाव के खिलाफ एक सख़्त संदेश देगी।
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