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आहार, योग और अध्यात्म से हो सकती है गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल कैंसर की रोकथामजीआईओ समिट-2024 में विशेषज्ञों की चर्चा

विवेक शर्मा/ट्रिन्यू चंडीगढ़, 10 नवंबर गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल कैंसर की रोकथाम के लिए समग्र दृष्टिकोण पर चर्चा करने के उद्देश्य से पीजीआई चंडीगढ़ के रेडियोथेरेपी और ऑन्कोलॉजी विभाग ने आज एक विशेष मंच का आयोजन किया। इस मंच पर आहार, योग, व्यायाम...

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समिट के दौरान मंच पर मौजूद डॉ. एम के महाजन, डॉ. दिव्या खोसला, डॉ. जीके रथ, डॉ. हरबंस लाल कपूर, डॉ. राकेश कपूर, स्वामी दयाधीपानंद और डॉ. विपिन कौशल। -ट्रिब्यून फोटो
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विवेक शर्मा/ट्रिन्यू

चंडीगढ़, 10 नवंबर

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गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल कैंसर की रोकथाम के लिए समग्र दृष्टिकोण पर चर्चा करने के उद्देश्य से पीजीआई चंडीगढ़ के रेडियोथेरेपी और ऑन्कोलॉजी विभाग ने आज एक विशेष मंच का आयोजन किया। इस मंच पर आहार, योग, व्यायाम और आध्यात्मिकता जैसे पारंपरिक भारतीय उपायों के माध्यम से कैंसर के जोखिम को कम करने की रणनीतियों पर विशेषज्ञों ने महत्वपूर्ण विचार साझा किए। यह आयोजन पहले वार्षिक गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ऑन्कोलॉजी सोसाइटी (जीआईओएस 2024) का हिस्सा था, जिसमें स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए चिकित्सक, शोधकर्ता और समाज के सदस्य एकत्र हुए।

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इस कार्यक्रम में शामिल हुए प्रमुख विशेषज्ञों ने पारंपरिक भारतीय चिकित्सा पद्धतियों और आधुनिक विज्ञान के बीच सामंजस्यपूर्ण संतुलन पर जोर दिया। पूर्व विभागाध्यक्ष दिल्ली एम्स प्रो. जी.के. राठ ने कैंसर की रोकथाम के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि कैंसर की रोकथाम केवल प्रारंभिक पहचान तक सीमित नहीं है। यह स्वस्थ आदतों को अपनाने, जागरूकता बढ़ाने और लोगों को अपनी सेहत के प्रति जिम्मेदार बनाने पर निर्भर है

जीआईओएस2024 के आयोजक डॉ. राकेश कपूर ने कार्यक्रम की सफलता पर संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि प्रतिभागियों की उत्साही प्रतिक्रिया यह दर्शाती है कि लोग अब योग और ध्यान जैसी विधियों को अपनी दिनचर्या में शामिल करने के लिए तैयार हैं। रामकृष्ण मिशन चैरिटेबल अस्पताल, मुंबई के चिकित्सा अधीक्षक स्वामी दयाधीपानंद ने स्वस्थ जीवनशैली की अहमियत पर बात करते हुए कहा कि योग जीवन का तरीका है। यह न केवल हमारी शारीरिक सेहत को बेहतर बनाता है, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य के लिए भी अनिवार्य है। स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर हम न केवल अपनी, बल्कि पूरे समाज की भलाई में योगदान कर सकते हैं।

पीजीआई के सामुदायिक चिकित्सा विभाग के प्रो. जेएस ठाकुर ने कहा कि कैंसर के बोझ को समझने और प्रभावी सार्वजनिक स्वास्थ्य रणनीतियों के लिए एक व्यापक कैंसर रजिस्ट्री जरूरी है, ताकि हम कैंसर से होने वाली मृत्यु दर को कम कर सकें। पीजीआई के मेडिकल सुप्रीटेंडेंट प्रो. विपिन कौशल ने मंच की चर्चा के दौरान कहा कि यह कार्यक्रम सहयोगात्मक ज्ञान के आदान-प्रदान का बेहतरीन उदाहरण है। आहार, व्यायाम, योग और आध्यात्मिकता का संयोजन कैंसर की रोकथाम के लिए एक मजबूत आधार प्रदान करता है।

मंच पर कैंसर सर्वाइवर्स ने अपनी प्रेरणादायक कहानियां साझा कीं, जिससे उपस्थित लोगों में उम्मीद और आत्मविश्वास का संचार हुआ। इस कार्यक्रम में 200 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिनमें छात्र, डॉक्टर और समाज के अन्य सदस्य शामिल थे। कैंसर-रोधी आहार और योग प्रदर्शन पर आधारित एक इंटरएक्टिव सत्र भी आयोजित किया गया।

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